advertisement
डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख रहा गुरमीत राम रहीम सिंह बलात्कार और हत्या के दोष में जेल के अंदर सजा काट रहा है. राम रहीम ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को गोली मरवा दी थी और इसी जुर्म में सीबीआई स्पेशल कोर्ट गुरूवार को उसे सजा सुनाने जा रही है.
आपको बता दें कि राम रहीम को दो साध्वियों के ब्लात्कार के आरोप में 20 साल की सजा मिली, उसके पीछे रामचंद्र छत्रपति का बड़ा हाथ रहा. गुरमीत राम रहीम को सलाखों के पीछे पहुंचाने में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति सबसे बड़े किरदार रहे. आइए आपको बताते हैं निडर रामचंद्र छत्रपति की पूरी कहानी.
रामचंद्र 'पूरा सच' नाम का अखबार चलाते थे. वो पहले पत्रकार थे, जिन्होंने सबसे पहले बाबा की करतूत को अपने अखबार में छापा था. पूरा सच नाम के इस अखबार में राम चंद्र छत्रपति ने बलात्कार पीड़ित साध्वियों की वो चिट्ठी छापी थी, जिसमें लिखा था कि गुरमीत राम रहीम ने उनका रेप किया है.
अखबार में चिट्ठी छपने के कुछ ही महीने बाद 24 अक्टूबर 2002 को रामचंद्र को उनके घर के बाहर कुछ लोगों ने गोली मार दी थी. इसके बाद कई सालों तक रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति अपने पिता की मौत के गुनहगार राम रहीम को सजा दिलवाने के लिए संघर्ष करते रहे.
'हिंदुस्तान टाइम्स' से बात करते हुए रामचंद्र के बेटे अंशुल छत्रपति बताते हैं कि पिछले 15 साल से वो इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं. अंशुल बताते हैं कि पिता की हत्या के वक्त उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी.
उसके बाद सीबीआई ने 2007 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और इसमें डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था. उसके बाद 12 साल तक ये केस चलता रहा और अब 11 जनवरी 2019 को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने राम रहीम समेत चार लोगों को हत्या का दोषी माना.
अंशुल छत्रपति अपने पिता का अखबार पूरा सच अब भी चलाते हैं और पिता के लिए मिले इंसाफ से खुश हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)