advertisement
क्या अपनी मर्जी से शेल्टर होम में रह रहे बालिग ट्रांसजेंडर्स अपने ऐसे हिंसक परिजनों से सुरक्षित हैं, जो उनके जेंडर आइडेंटिटी को स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हैं? क्या ऐसे ट्रांसजेंडर शेल्टर होम चलाने वाले एक्टिविस्ट सुरक्षित हैं? क्या होगा अगर हिंसक परिजन खुद पुलिस महकमे से हो? यह सवाल इसलिए क्योंकि गुरुग्राम में TWEET फाउंडेशन (TWEET Foundation) द्वारा चलाए जा रहे ट्रांसजेंडर शेल्टर होम- आसरा (Aasra Transgender Shelter Home) के 2 ट्रांस बोर्ड मेंबर के साथ मारपीट का मामला सामने आया है. और आरोपी खुद शेल्टर होम में रह चुके एक ट्रांसमैन के पिता हैं जो यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर हैं.
गुरुग्राम के DLF फेज 3 में आसरा शेल्टर होम चलाने वाले ट्रांसजेंडर वेलफेयर इक्विटी एंड एम्पावरमेंट ट्रस्ट/ TWEET फाउंडेशन ने अपने प्रेस स्टेटमेंट में बताया है कि यूपी के बाराबंकी स्थित हैदरगढ़ थाना में तैनात इंस्पेक्टर कृष्ण कांत सिंह 1 सितंबर को दोपहर करीब 12.15 बजे यूनिफॉर्म में अपनी पत्नी, बड़े बेटे और 2 अज्ञात लोगों के साथ शेल्टर होम पहुंचे.
इसके बाद दोनों को DLF फेज-3 पुलिस स्टेशन ले जाया गया. पीड़ितों ने यह आरोप लगाया है कि रास्ते में भी उनकी पिटाई की गयी और उनके फोन छीन लिए गए और वकील या TWEET एनजीओ से जुड़े सरकारी अधिकारी, किसी से भी संपर्क करने की इजाजत नहीं दी गयी.
TWEET फाउंडेशन के अनुसार पुलिस स्टेशन के अंदर भी दोनों ट्रांसमैन के साथ मारपीट की गयी. आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया कि उनके पुलिस स्टेशन के अंदर दोनों पीड़ितों को बुरी तरह मारा जा रहा है. DLF फेज-3 थाने की पुलिस पर ट्रांसमैन की जेंडर आइडेंटिटी के बारे में बताये जाने के दौरान लगातार मजाक उड़ाने और ट्रांसफोबिक कमेंट्स किए जाने का भी आरोप है.
दोनों पीड़ितों ने ट्रांसजेंडर बेटे का पता पूछने के बहाने आखिरकार TWEET फाउंडेशन की बोर्ड मेंबर अभीना अहर को कॉल किया, जो खुद सीनियर ट्रांस राइट्स एक्टिविस्ट हैं. अभीना ने क्विंट को बताया कि जब वो अन्य दूसरे एक्टिविस्ट के साथ पुलिस स्टेशन पहुंची तब जाकर शाम 4:30 दोनों पीड़ितों को जाने दिया गया. इसके बाद उनका मेडिकल जांच भी कराया गया.
बता दें कि TWEET Foundation एक रजिस्टर्ड NGO है जो ट्रांसजेंडर पुरुषों और ट्रांसजेंडर महिलाओं द्वारा चलाया जाता है और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय सहित विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है. NGO के अनुसार फाउंडेशन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए भारत के संविधान और ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 में दिए मूल्यों को साकार करता है.
मारपीट करने के आरोपी इंस्पेक्टर कृष्ण कांत सिंह ट्रांसजेंडर मैन श्याम (बदला हुआ नाम) के पिता हैं. मारपीट की इस घटना के बाद जारी और क्विंट को भेजे एक वीडियो में श्याम ने बताया कि वह 24 साल का बालिग है और उसने अपनी मर्जी से अपना घर छोड़ा है. उसने आरोप लगाया है कि परिवार उसकी जेंडर आइडेंटिटी को स्वीकार नहीं करता है और उसके घर में मारपीट का माहौल है, पिता और भाई उसे और उसकी मां को बुरी तरह पीटते हैं.
श्याम ने आसरा में रहने के लिए दिए गए एप्लीकेशन और इससे पहले दिल्ली के गोविंदपुरी थाने में भी लेटर लिखकर यह आरोप लगाया था कि उसे अपने घर वालों से जान का खतरा है.
बता दें कि गुरुग्राम शिफ्ट होने के पहले आसरा शेल्टर होम दिल्ली के गोविंदपुरी में था. TWEET के प्रेस स्टेटमेंट के अनुसार इसके पहले गोविंदपुरी पुलिस ने यह पुष्टि करने के बाद कि श्याम वयस्क है और अपनी मर्जी से यहां हैं, किसी भी तरह से हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था.
क्विंट ने जब मामले में पुलिस का पक्ष जानने के लिए गुरुग्राम पुलिस के PRO सुभाष बोकेन को पहली बार कॉल किया था तो उन्होंने संबंधित थाने से जानकारी लेकर कुछ देर में बताने की बात कही. अगली कॉल पर फिर उन्होंने कुछ समय मांगा. उसके बाद कई कॉल किए जाने के बाद भी उन्होंने कॉल नहीं उठाया है. इसके अलावा वाट्सऐप पर किए गए मैसेज का भी कोई जवाब नहीं आया है.
इसके अलावा गुरुग्राम पुलिस के सूत्र ने क्विंट को बताया कि "यह लखनऊ के एक इंस्पेक्टर से जुड़ा मामला था. उनकी बेटी गुरुग्राम में काम कर रही है. पिता ने सोचा कि उसका दो लोगों ने अपहरण कर लिया है. हमें नहीं पता कि वो ट्रांसजेंडर मेन हैं या नहीं. लेकिन जब हमने उस जगह (शेल्टर होम) का दौरा किया, तो अपहरण जैसा मामला नहीं लग रहा था. वह यहां अपनी मर्जी से आई थी. हमने दोनों लोगों को वापस भेज दिया."
क्विंट ने आरोपी इंस्पेक्टर कृष्ण कांत सिंह से भी संपर्क करने की कोशिश की. हालांकि उनका नंबर स्विच ऑफ बता रहा है. उनके संपर्क होने पर उनकी प्रतिक्रिया के साथ इस रिपोर्ट को अपडेट किया जायेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)