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Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मामले में सुनवाई कल, मुआयना करने जा सकते हैं जज

वाराणसी न्यायालय परिसर में डेढ़ घंटे रही गहमागहमी, साल 1937 के मुकदमे की दलील भी गूंजी.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद: 1984 से शुरू होती है कहानी</p></div>
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ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद: 1984 से शुरू होती है कहानी

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) परिसर विवाद में मंगलवार को भी सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के आग्रह पर सिविल जज ने कोर्ट की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी है. वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने सिविल जज सीनियर डिविजन से स्वयं मौके पर चलकर सर्वे और वीडियोग्राफी कराने का आग्रह किया है.

वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रशासनिक अमला ढुलमुल रवैया अपना रहा है, इसके कारण अदालत की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है. हालांकि, कोर्ट ने अभी इस मामले पर कुछ भी नहीं कहा है.

हालांकि, मंगलवार को इस केस में एक नया मोड़ आ गया. जब साध्वी पूर्णाम्बा और साध्वी शारदाम्बा ने सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया, और कहा कि श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण से जुड़े हर मुकदमे की सुनवाई एक ही कोर्ट में एक ही तारीख पर हो, ताकि सभी मामले में न्याय एक साथ हो सके.

वाराणसी के न्यायालय परिसर में डेढ़ घंटे रही गहमागहमी, 1937 के मुकदमे की दलील भी गूंजी

बता दें, काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद में मंगलवार को भी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में करीब डेढ घंटे तक बहस हुई. इस दौरान वादी और प्रतिवादी की ओर से कोर्ट कमिश्नर को बदलने, मस्जिद के भीतर सर्वे की इजाजत देने का मसला उठा. प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कुछ अन्य तथ्य प्रस्तुत करने के लिए बुधवार तक की मोहलत मांगी, जिस पर अदालत ने 11 मई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

वादी अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि प्रशासन का रवैया इस मामले में ढुलमुल दिख रहा है. ऐसे में आप स्वयं मौके पर चल कर मामले का निस्तारण करें. अधिवक्ताओं ने साल 1937 में दिन मोहम्मद बनाम सेक्रेट्री ऑफ इंडिया मामले का हवाला दिया, जिसमें तत्कालीन जज ने विजिट करके मामले की आख्या प्रस्तुत की थी. कहा की आज ऐसी ही जरूरत महसूस हो रही है.

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एडवोकेट कमिश्नर टीम ने कहा सर्वे कार्य में बाधा पहुंचाने के लिए लगा रहे झूठे आरोप

सोमवार को अदालत में हुई सुनवाई के दौरान वादी-प्रतिवादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की थीं, जिसमें वादी पक्ष का कहना था कि एडवोकेट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे हैं और सर्वे का काम बाधित करने के लिए प्रतिवादी झूठे आरोप लगा रहे हैं. ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी और सत्यापन की अनुमति दी जाए. .

साध्वी पूर्णाम्बा और साध्वी शारदाम्बा ने सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है.

साध्वी पूर्णाम्बा और साध्वी शारदाम्बा ने सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया. इससे श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में नया मोड़ आ गया. इन्होंने कहा कि हमारा केस और वर्तमान में चल रहा वाद एक ही प्रकरण है. हमारी मांग है कि हमारे वाद और वर्तमान में चल रहे वाद पर एक साथ सुनवाई की जाए. दोनों साध्वियों के वाद पर कोर्ट ने पहले से ही 6 जुलाई 2022 की तिथि सुनवाई के लिए नियत कर रखी है. प्रार्थना पत्र दायर होने के बाद भी कोर्ट ने दोनों साध्वियों के वाद को 6 जुलाई 2022 को ही सुनने का आदेश दिया.

मिलते जुलते केस पर सुनवाई साथ करने की उठाई मांग

साध्वियों का कहना था कि वर्तमान में चल रहे वाद से मिलते जुलते और भी वाद कोर्ट में विचारधीन हैं, जिनकी सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए. कहा कि वाद रंजना अग्निहोत्री बनाम उत्तर प्रदेश सरकार भी शामिल है.

अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि इसी प्रकार से अन्य और मुकदमे भी दाखिल हैं, जो ज्ञानवापी मस्जिद से ही संबंधित हैं. सभी वादियों ने यही कहा है कि ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर के मंदिर के परिसर का हिस्सा है. पूर्व में यहां नंदी भगवान थे और यहां पूजा-पाठ होता था. हमारी मांग है कि हमें पूजा-पाठ की अनुमति दी जाए.

इसलिए दोनों साध्वियों ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर सभी मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने की मांग की है. ताकि, जो भी फैसला हो, वह सभी के लिए एक साथ हो. इससे वादियों के साथ ही अदालत के समय की भी बचत होगी.

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