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प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने Gyanvapi Masjid मामले पर सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंदिर तोड़कर औरंगजेब ने गलत काम किया था. वैसे ही अब सरकार भी क्या गलत काम करेगी? उन्होंने इस पूरे मामले पर सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया.
ज्ञानवापी में शिवलिंग की बात पर प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि जो याचिका दाखिल की गई थी, उसमें शिवलिंग जिक्र नहीं था, लेकिन अब इसे मुद्दा बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा, "शिवलिंग बनाने का एक कायदा होता है. हर चीज को शिवलिंग नहीं बता सकते." उन्होंने बताया कि पहले जब मंदिर तोड़े गए, तो उसके पत्थर मस्जिदों में इस्तेमाल किए गए.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस प्रोफेसर इरफान हबीब स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़ा था और उस जमाने में छुपकर काम नहीं होते थे. उन्होंने कहा कि इतिहास की तारीख में मंदिर तोड़ने की घटना दर्ज है. हिंदू मंदिर के प्रतीक ज्ञानवापी मस्जिद में पाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "जब भी पुराने समय में मस्जिद या मंदिर बने, तो उसमें बौद्ध विहारों के पत्थर मंदिरों में मिले हैं. तो क्या मंदिरों को तोड़ दिया जाए. ये बेवकूफी भरी बातें हैं. ऐसी स्थिति में बहुत से मंदिर टूट जाएंगे. क्योंकि उसमें बौद्ध धर्म के पत्थर लगाए गए हैं."
इरफान हबीब कहते हैं, "मंदिर जानकर ही औरंगजेब ने काशी, मथुरा का मंदिर तोड़ा था. बनारस का मंदिर कितना पुराना है इसके बारे में खुलकर नहीं बताया. लेकिन मथुरा का श्री कृष्ण जन्म स्थल मंदिर जहांगीर के समय में भव्य बनाया गया था. मंदिर तोड़ने के बाद औरंगजेब ने कहा था कि मैं मंदिर नहीं बनने दूंगा. हालांकि, मुगल काल में मंदिर बने हैं. लेकिन काशी, मथुरा के मंदिरों को औरंगजेब ने तोड़ा था."
प्रोफेसर इरफान हबीब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस हैं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. 90 साल के इरफान हबीब मध्यकालीन इतिहास के बड़े जानकार हैं. भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया है. इसके साथ ही इरफान हबीब हिंदुत्व और मुस्लिम सांप्रदायिकता के खिलाफ कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं. मुगल इतिहास पर उनकी दर्जनों किताबें हैं.
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