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सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) को वाराणसी सिविल जज से जिला जज को ट्रांसफर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ विवाद में सिविल मुकदमे के मेरिट पर जिला जज निर्णय लेंगे. SC ने सुनवाई करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश के एक अनुभवी जज द्वारा की जाएगी.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि मीडिया में रिपोर्ट की "चुनिंदा लीक" बंद होना चाहिए. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रेस में बातें लीक हो रही हैं जबकि उसे कोर्ट में जमा करना था और कोर्ट को इसे खोलना था.
वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट के सामने याचिका दायर की है जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वे का निर्देश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और पीएस नरसिम्हा की 3 जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.
इससे पहले 17 मई को,सुप्रीम कोर्ट ने उस स्थान की सुरक्षा के लिए निर्देश दिया था जहां शिवलिंग पाए जाने की बात कही गई थी और साथ ही स्पष्ट किया था कि नमाज और वजू करने के मुसलमानों के अधिकारों में कोई बाधा नहीं होगी.
ज्ञानवापी मामले में विशेष कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने गुरुवार, 19 मई को वाराणसी की स्थानीय अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश की थी लेकिन वो 'लीक' हो गई है. सामने आये 12 पन्नों की रिपोर्ट के अनुसार सर्वे टीम ने मस्जिद की दीवारों पर हिंदू प्रतीक चिन्हों के मिलने का दावा किया है.
रिपोर्ट में मस्जिद के अंदर कथित शिवलिंग मिलने का भी जिक्र है. इसी आकृति को वादी पक्ष ने शिवलिंग कहा है तो मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा है. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सामान्य रूप से बड़े शिवलिंग का जो आकार होता है वैसे ही इसका आकार प्रतीत होता है.
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