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वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Mosque) में आज, 3 अगस्त महत्वपूर्ण तारीख हो सकती है. इसके सर्वे को लेकर आज फैसला सकता है. वाराणसी जिला अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सर्वे शुरू करने के कुछ ही घंटों बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी और मस्जिद कमेटी को जिला अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए हाइकोर्ट जाने की सलाह दी थी. आज हाइकोर्ट इस पर अपना फैसला सुना सकता है.
हम आपको बताते हैं कि इस मामले में अब तक के 10 बड़े अपडेट क्या हैं?
1. वाराणसी जिला अदालत ने 21 जुलाई को चार महिलाओं की याचिका के आधार पर ASI सर्वेक्षण का आदेश दिया था. दावा किया गया था कि ये निर्धारित करने का एकमात्र तरीका था कि ऐतिहासिक मस्जिद एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी या नहीं. ये मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित है.
3. हालांकि, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि सर्वेक्षण के चलते किसी भी तरह से संरचना में बदलाव नहीं होगा. सरकार ने कहा कि "एक भी ईंट नहीं हटाई गई है और न ही इसकी योजना है". भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सर्वेक्षण में केवल माप, फोटोग्राफी और रडार अध्ययन शामिल है.
4. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आदेश को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी. 26 और 27 जुलाई, दो दिनों तक मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 3 अगस्त के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
5. ज्ञानवापी मस्जिद 2021 में तब सुर्खियों में आई थी जब महिलाओं के एक समूह ने पूरे साल ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवताओं की पूजा करने की अनुमति के लिए वाराणसी की निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
7. हालांकि, मस्जिद प्रबंधन समिति ने कहा कि संरचना 'वजुखाना' में एक फव्वारे का हिस्सा थी, जो पानी से भरा क्षेत्र है, जहां लोग प्रार्थना करने से पहले अपने हाथ-पैर धोते हैं. मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उस हिस्से को सील करने का आदेश दिया था.
8. पिछले साल सितंबर में, तर्क दिया गया था कि परिसर के अंदर हिंदू देवताओं की पूजा करने का महिलाओं का अनुरोध सुनवाई योग्य नहीं था, लेकिन वाराणसी डिस्ट्रिक्ट जज ने मस्जिद समिति की चुनौती को खारिज कर दिया.
10. पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में स्थित, ज्ञानवापी मस्जिद उन कई मस्जिदों में से एक है, जिनके बारे में कुछ लोगों का मानना है कि इन्हें हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था. ये अयोध्या और मथुरा के अलावा तीन मंदिर-मस्जिद विवादों में से एक है, जिसे बीजेपी ने 1980 और 1990 के दशक में उठाया था.
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