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हरियाणा (Haryana Education) में सरकार ने नया फरमान जारी किया है. गुरुवार, 8 अगस्त को जारी एक सरकारी सर्कुलर के अनुसार, हरियाणा के स्कूलों को कहा गया है कि बच्चों से "गुड मॉर्निंग" की जगह "जय हिंद" बुलवाना सुनिश्चित किया जाए. निर्देश दिया गया है कि स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को झंडा फहराने से पहले इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.
सवाल है कि देशभक्ति और एकता बढ़ाने का तर्क देकर स्कूलों में अभिवादन के लिए "जय हिंद" का आदेश देने वाली हरियाणा सरकार के स्कूलों की क्या स्थिति है? यहां टीचरों के कितने पद खाली हैं?
चलिए शुरूआत इस सर्कुलर से ही करते हैं कि इसमें क्या निर्देश दिए गए हैं और इसके पीछे कौन-कौन से तर्क दिए गए हैं.
यह सर्कुलर स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किया गया है. इसमें लिखा है कि राज्य के स्कूलों में पढ़ाई कर रहे बच्चों में देश भक्ति और राष्ट्रीय गौरव की गहरी भावना को बढ़ावा देने के लिए "गुड मॉर्निंग" की जगह "जय हिंद" को अभिवादन के रूप में लागू करने का निर्णय लिया गया है. इससे स्टूडेंट्स को हर दिन राष्ट्रीय एकता की भावना और हमारे देश के समृद्ध इतिहास के प्रति सम्मान के साथ प्रेरित किया जा सकेगा.
"जय हिंद" के अभिवादन के महत्व को बताते हुए सर्कुलर में निम्न तर्क दिए गए हैं:
देशभक्ति
राष्ट्र के प्रति सम्मान
एकता को बढ़ावा देना
अनुशासन और सम्मान को बढ़ावा
परंपरा के प्रति सम्मान
प्रेरणा
भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
एकजुट करने वाली शक्ति
सर्कुलर राज्य भर के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों, ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों, ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों, प्रिंसिपल और हेडमास्टरों को भेजा गया है.
हरियाणा में कम से कम 19 सरकारी स्कूलों में एक भी बच्चे ने एडमिशन नहीं लिया है.
3,148 सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या 50 से कम है.
राज्य के 14,562 सरकारी स्कूलों में से 811 में केवल एक-एक टीचर हैं.
ये कुछ ऐसे सरकारी आंकड़े हैं जो हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई हम सबके सामने लाते हैं. 'समग्र शिक्षा' की 2024-25 की वार्षिक कार्य योजना और बजट पर विचार के लिए प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक के मिनट्स में यह तथ्य सामने आए हैं.
राज्य के स्कूल अतिरिक्त कक्षाओं के अपने लक्ष्य से 18% पीछे हैं. लड़कों और लड़कियों के लिए शौचालय 1% और 1.8% कम हैं. स्मार्ट क्लासरूम भी आवश्यक संख्या से 1.4% कम हैं. इंटिग्रेटेड साइंस लैब तो जरूरत से 50.69% कम हैं, वहीं स्मार्ट क्लासरूम 1.4% और स्कील एजुकेशन लैब 13% कम.
इसमें कहा गया है कि हरियाणा ने अभी तक शिक्षा के अधिकार, 2009 में निर्देशित 12(1)(C) के प्रावधान को न शुरू किया है और लागू किया है. इस प्रावधान के अनुसार प्राइवेट स्कूलों की जिम्मेदारी तय की जाती है कि वे क्लास की कम-से-कम एक चौथाई सीटों पर कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों को एडमिशन देकर मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देंगे.
हरियाणा में 14,300 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 23.10 लाख स्टूडेंट्स का एडमिशन है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों का अनुमान है कि राज्य के लगभग 7,000 प्राइवेट स्कूल हैं यानी सरकारी से लगभग आधे लेकिन उनमें स्टूडेंट्स की संख्या सरकारी स्कूलों के बराबर ही है.
सरकारी स्कूलों में एक बड़ी समस्या टीचर-स्टूडेंट रेशियो को माना जाता है, यानी एक टीचर कितने बच्चों को पढ़ाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह शिक्षकों की खाली वैकेंसी को नहीं भरा जाना है. खुद हरियाणा की सरकार ने हाई कोर्ट में बताया है कि सरकारी स्कूलों में 28 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं.
हरियाणा के माध्यमिक शिक्षा निदेशक, जितेंद्र कुमार द्वारा दायर एक हलफनामे में, सरकार ने कहा कि उसने टीजीटी के 7,575 पदों और पीजीटी के 4,526 पदों पर सीधी भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की है, जो विभिन्न चरणों में थी.
यह तो बात रही स्कूली शिक्षा की. अगर कॉलेज स्तर पर शिक्षा व्यवस्था कि बात करें तो वहां भी हालत कमोबेस यही है. जून में छपी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक आरटीआई आवेदन के जवाब के अनुसार, हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग 58% पद खाली पड़े हैं.
इसके अनुसार राज्य में 182 सरकारी कॉलेजों के लिए 7,986 स्वीकृत पद हैं, लेकिन इन कॉलेजों में केवल 3,368 रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जिससे 4,618 (58%) पद खाली हैं. राज्य उच्च शिक्षा विभाग के आकलन के अनुसार, वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए सरकारी कॉलेजों के लिए 8,843 पदों की आवश्यकता है.
हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार जब अखबार ने संपर्क किया गया, तो विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि लगभग 25% रिक्तियां ही हैं, क्योंकि 2,000 से अधिक अतिथि शिक्षक (गेस्ट टीचर) या एक्सटेंशन लेक्चरर भी कॉलेजों में काम कर रहे हैं.
हरियाणा सरकार के 24-25 के बजट की बात करें तो शिक्षा, खेल, कला और संस्कृति पर सरकार ने अपना खर्च 15% बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. इसे 2023-24 के संशोधित खर्च 18776.29 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 21765.63 करोड़ रुपए किया गया है. सरकार ने बजट का 9% क्वालिटी शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने और उनकी लंबे समय से लंबित मांगों के समाधान के बारे में बजट में कोई वादा नहीं किया गया है.
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