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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) के दो अस्थायी कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) की सेवाएं कथित तौर पर हाथरस मामले को लेकर समाप्त कर दी गई हैं
दोनों डॉक्टरों में से एक, मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक ने FSL रिपोर्ट पर सवाल उठाया था. डॉ. अजीम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तहत आने वाले जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात थे.
दूसरे डॉक्टर हैं ओबैद इम्तियाजुल हक हैं. उन्होंने खुद को हटाए जाने के कारणों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
इसके पहले उत्तर प्रदेश पुलिस के ADG, लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा था कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ है. इसके जवाब में डॉ. मलिक ने कहा था FSL सैंपल रेप के 11 दिन बाद लिया गया था. लेकिन सरकारी नियमों के मुताबिक दुष्कर्म के 96 घंटे के अंदर लिए गए सैंपल से ही रेप की पुष्टि की जा सकती है.
22 अक्टूबर को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (JNMCH) के CMO डॉ. शाह जैदी ने उन्हें पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से नौकरी से निकालने जाने की जानकारी दी है.
दूसरी तरफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि इन डॉक्टर्स को नौकरी से निकाले जाने से हाथरस केस का कोई लेना देना नहीं है. कोरोना संकट की वजह से कुछ डॉक्टर्स बीमार पड़ गए थे इसलिए इन डॉक्टर्स को लीव वैकेंसी पर लाया गया था. लेकिन अब प्रशासन को इनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है.
बता दें कि हाथरस में पीड़िता के साथ कुछ युवकों ने हैवानियत की और उसके साथ जमकर मारपीट भी हुई. जिसके बाद उसकी रीढ की हड्डी और गर्दन में में चोट आई. घटना के बाद पुलिस की लापरवाही भी देखने को मिली. लेकिन आखिरकार पुलिस ने पीड़िता को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया. बताया गया कि पीड़िता को कई दिनों तक जनरल वार्ड में रखा गया, जबकि उसकी हालत गंभीर थी.
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