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हाथरस केस पर आज SC में होगी सुनवाई, न्यायिक जांच की मांग

सुप्रीम कोर्ट में हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की भी मांग की गई है

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सुप्रीम कोर्ट में हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की भी मांग की गई है
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सुप्रीम कोर्ट में हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की भी मांग की गई है
(फोटो: PTI)

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सुप्रीम कोर्ट मंगलवार 6 अक्टूबर को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की 19 साल की दलित युवती के साथ हुई दरिंदगी के मामले में न्यायिक जांच की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच होनी चाहिए.

मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की भी मांग

जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे और अधिवक्ता विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने दायर की है, जिस पर न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी.

याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से निष्पक्ष जांच के लिए उचित आदेश पारित करने का आग्रह किया है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा एक मौजूदा या सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराई जाए.

इसके साथ ही इस मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की भी मांग की गई है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के अधिकारी आरोपियों के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई करने में विफल रहे हैं.
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पुलिस के दावों पर भी सवाल

दलील में कहा गया कि जब पीड़िता अपने पशुओं के लिए चारा लाने के लिए खेत गई हुई थी, तब उसके साथ दुष्कर्म किया गया और क्रूरता के साथ उससे मारपीट भी की गई. इसमें कहा गया है कि एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता की जीभ कटी हुई थी और आरोपियों ने उसकी गर्दन की हड्डी और पीठ की हड्डी भी तोड़ दी थी, जो उच्च जाति के थे.

पीड़िता ने बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया. उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने शव का दाह संस्कार करने में जल्दबाजी दिखाई और इस अंतिम प्रक्रिया में पीड़िता के परिजन तक भी शामिल नहीं किए गए. याचिका में कहा गया है कि पुलिस की ओर से ये कहना कि पीड़िता का दाह संस्कार उसके परिवार की इच्छा के अनुसार हुआ है, वह सरासर गलत है.

याचिका में दावा किया गया कि पुलिस ने पीड़िता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है और इसके बजाय पुलिस ने आरोपी व्यक्तियों को बचाने की कोशिश की है.

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Published: 05 Oct 2020,09:41 PM IST

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