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हाथरस: पीड़िता के भाई का आरोप-पुलिस ने घर में बंद किया,फोन भी छीने

पीड़िता के घर को पुलिस ने छावनी में किया तब्दील, मीडिया की भी नो एंट्री

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पीड़िता के घर को पुलिस ने छावनी में किया तब्दील, मीडिया की भी नो एंट्री
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पीड़िता के घर को पुलिस ने छावनी में किया तब्दील, मीडिया की भी नो एंट्री
(फोटो:PTI)

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यूपी के हाथरस में 20 साल की युवती के साथ हुई हैवानियत के बाद अब पुलिस और सरकार की मनमानी साफ नजर आ रही है. पहले तो पुलिस पर इस मामले को लेकर कई बार लापरवाही बरतने के आरोप लगे, पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने जबरन आधी रात को शव का अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन अब यूपी पुलिस ने हाथरस की पीड़िता के पूरे गांव को ही सील कर दिया है. पीड़िता के घर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है और वहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है. इसी बीच पीड़िता के घर से एक बच्चा किसी तरह पुलिस की नजरों से बचते हुए मीडिया तक पहुंच गया और उसने जो कहानी बताई वो काफी चौंकाने वाली है.

पुलिस ने छावनी में बदला गांव

करीब 12-14 साल के इस बच्चे के मुताबिक उसने पुलिसकर्मियों से कहा कि वो गाय के लिए घास लेने जा रहा है. लेकिन उसे पीड़िता के परिवार ने मीडिया के पास जाने को कहा था, इसीलिए वो खेतों से होते हुए सीधा मीडियाकर्मियों तक पहुंच गया. जब मीडिया ने उससे पूछा कि वहां क्या हाल हैं तो उसने बताया,

“हमारे घर के सभी लोगों से फोन ले लिया गया है और वो हमें किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. मां ने और भाभी कहा कि मीडिया को बुला लाओ हम उनसे बात करना चाहते हैं, लेकिन पुलिस ने पूरे छत में, गांव में घेराबंदी कर रखी है.”
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बाहर पुलिस अंदर पीड़िता के घरवाले बंद

पीड़िता के परिवार से जो बच्चा मीडिया तक पहुंचा उसने बताया कि पुलिस ने सभी लोगों को कमरे में बंद कर दिया था. साथ ही इस बच्चे ने बताया कि जब फोन से परिवार के लोग वीडियो बनाकर भेज रहे थे तो पुलिस वालों ने सभी के फोन ले लिए.

पीड़िता के चचेरे भाई ने बताया कि अभी उनके घर पर करीब 150 से 200 पुलिस वाले मौजूद हैं. कुछ छत पर तो कुछ दरवाजे के बाहर और कुछ गली में.

SIT जांच तक नो एंट्री

पीड़िता के गांव और उसके घर में मीडिया की एंट्री पर लगाई गई रोक को लेकर हाथरस के एसपी प्रकाश कुमार ने कहा कि, जब तक एसआईटी की जांच पूरी नहीं हो जाती है, तब तक गांव में मीडिया की एंट्री बंद रहेगी. इसके अलावा कानून व्यवस्था को देखते हुए किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधि मंडल या फिर नेता को भी गांव में आने की इजाजत नहीं है.

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