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दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में COVID-19 के आरटी/पीसीआर टेस्ट कम होने को लेकर नाखुशी जताई है. हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से पूछा कि वो रैपिड एंटीजन टेस्ट क्यों करा रही है, जबकि इसकी रिपोर्ट गलत आने की दर बहुत ज्यादा है. कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना टेस्ट से जुड़ी, वकील राकेश मेहरोत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.
दिल्ली सरकार के वकील सत्यकाम ने कोर्ट में दलील दी कि स्वास्थ्य विभाग आईसीएमआर की उन गाइडलाइन्स का पालन कर रहा है, जिनमें कहा गया है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट जिन लोगों की नेगेटिव आएगी और उनमें इंफ्लुएंजा जैसे लक्षण दिखेंगे, उनकी आरटी/पीसीआर जांच कराई जाए.
हालांकि, वकील राकेश मेहरोत्रा ने कोर्ट से कहा कि आईसीएमआर ने बस इतना कहा है कि जिन लोगों में इंफ्लुएंजा जैसे लक्षण दिखेंगे और रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आएगी, उन्हें आरटी/पीसीआर जांच से गुजरना होगा और यह रणनीति उन लोगों पर लागू नहीं होती जो श्वसन संबंधी गंभीर बीमारी (एसएआरआई) से ग्रसित हैं.
दिल्ली सरकार ने कहा कि ज्यादा रिस्क की आशंका वाले लोगों की अपनी लिस्ट में उसने एसएआरआई को भी शामिल किया है, जिन्हें पहले रैपिड एंटीजन टेस्ट से गुजरना होगा.
आईसीएमआर का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्र सरकार के वकील अनुराग आहलूवालिया ने कोर्ट से कहा कि उसने कभी भी रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए एसएआरआई की सिफारिश नहीं की और यह इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियों जैसा नहीं है.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, ‘‘आप आईसीएमआर की सलाह में बदलाव क्यों कर रहे हो? आप अपने मुताबिक इसकी व्याख्या नहीं कर सकते.’’
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