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हरियाणा के बाद झारखंड में भी प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण पर विचार

हेमंत सोरेन ने दिल्ली में मीडिया को दिया बयान

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हेमंत सोरेन ने दिल्ली में मीडिया को दिया बयान
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हेमंत सोरेन ने दिल्ली में मीडिया को दिया बयान
(फाइल फोटो: PTI)

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हरियाणा के बाद अब झारखंड में भी प्राइवेट नौकरी में स्थानीय लोगों को आरक्षण दिया जा सकता है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 7 मार्च को कहा कि राज्य इस बारे में एक योजना पर विचार कर रहा है. नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए सोरेन ने कहा कि वो रोजगार देने के लिए 'प्रतिबद्ध' हैं.

“राज्य सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि क्या प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों को कुछ फीसदी का आरक्षण दिया जाए. या फिर कुछ सैलरी क्राइटेरिया के आधार पर आरक्षण दिया जाए.” 
हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड सरकार इस बारे में फैसला सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद ही लेगी. सोरेन का बयान ऐसे समय में सामने आया है जब झारखंड निवेशकों को लुभाने के लिए एक इंडस्ट्रियल और प्रमोशन पॉलिसी पर काम कर रहा है.

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हरियाणा में 75 फीसदी आरक्षण

हरियाणा में निजी कंपनियों के लिए फरमान आया है कि 50 हजार से कम सैलरी की नौकरियों में 75 फीसदी सिर्फ हरियाणा के लोगों को दी जाएं.

हरियाणा सरकार ने 2 फरवरी को हरियाणा स्टेट एम्पलॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 नोटिफाई किया है. इस कानून का पालन सभी कंपनियों, LLPs, ट्रस्ट, सोसाइटीज और पार्टनरशिप फर्म जिनके यहां 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, उन्हें करना होगा. इस कानून के तहत जिला प्रशासन को ये अधिकार दिए गए हैं कि वो नए कानूनों को लागू कराएं.

इस एक्ट के मुख्य प्रावधान हैं:

  • यह बिल प्राइवेट सेक्टर की उन नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए कोटा का प्रावधान करता है, जिनमें मासिक वेतन 50000 रुपये से कम हो.
  • बिल के मुताबिक, यह कोटा शुरुआत में 10 साल तक लागू रहेगा.
  • इसके दायरे में राज्य में निजी कंपनियां, सोसाइटी, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म हैं.
  • यह योग्य लोगों के उपलब्ध न होने की स्थिति में योग्य स्थानीय उम्मीदवारों के प्रशिक्षण का प्रावधान करता है.
  • इस कोटे के तहत नौकरी हासिल करने के लिए किसी व्यक्ति का जन्म स्थान हरियाणा होना चाहिए या वह कम से कम 15 साल राज्य में रहा हो.

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