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रंजीत सिंह हत्या मामले में गुरुमीत राम रहीम और 4 अन्य आरोपी बरी, HC ने सुनाया फैसला

High Court ने सीबीआई के फैसले को पलटते हुए 2002 के रंजीत सिंह हत्या मामले के सभी आरोपियों को निर्दोष बताया है.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>हाई कोर्ट ने गुरुमीत राम रहीम और 4 अन्य आरोपियों को रंजीत सिंह हत्या मामले में किया बरी</p></div>
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हाई कोर्ट ने गुरुमीत राम रहीम और 4 अन्य आरोपियों को रंजीत सिंह हत्या मामले में किया बरी

फोटो: क्विंट हिंदी

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार (28 मई) को 2002 के रंजीत सिंह (Ranjeet Singh) हत्या मामले में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) और चार अन्य आरोपियों को बरी कर दिया. हाईकोर्ट के न्यायधीश सुरेश्वर ठाकुर और न्यायधीश ललित बत्रा ने राम रहीम सिंह, जसबीर सिंह, सबदिल सिंह, कृष्ण लाल और अवतार सिंह के खिलाफ लगे अपराध के आरोपों को खारिज कर दिया.

कोर्ट का फैसला आने के बाद गुरमीत राम रहीम के वकील जतिंदर खुराना ने कहा, ' पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बदल दिया है और इसमें शामिल सभी पांच लोगों को बरी कर दिया गया है... हम इस फैसले का स्वागत करते हैं."

अपील को स्वीकार करने के बाद मिली राहत 

हाईकोर्ट ने सीबीआई के फैसले के खिलाफ गुरमीत राम रहीम सिंह और चार अन्य के द्वारा दायर की गई अपील को स्वीकार कर लिया. पंचकुला की सीबीआई अदालत ने 2021 में उन्हें दोषी ठहराया था, लेकिन गुरुमीत राम रहीम और 4 अन्य आरोपियों को हाईकोर्ट के फैसले के बाद उन्हें बरी कर दिया गया. 

किस मामले में दोषी होने का आरोप था? 

दरअसल, 2002 में हरियाणा के सिरसा जिले में डेरा मैनेजर रंजीत सिंह की हत्या के मामले में उन्हें दोषी पाया गया था. उन्हें धारा 302 (हत्या) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत सजा सुनाई गई थी. वहीं, डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को भी इस मामले में दोषी पाया गया था.

रंजीत सिंह, जो डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे, की 2002 में हत्या कर दी गई थी. उन्हें हरियाणा के कुरुक्षेत्र के थानेसर क्षेत्र में मारा गया था. थानेसर पुलिस स्टेशन में हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था . 10 नवंबर 2003 को हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए.

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सीबीआई ने क्या लगाया आरोप?

सीबीआई के मुताबिक, डेरा प्रमुख ने रंजीत सिंह पर शक किया था कि उन्होंने डेरा अनुयायियों के बीच एक अज्ञात पत्र बांटा था. इस पत्र में डेरा प्रमुख पर महिला अनुयायियों (साध्वियों) के साथ यौन शोषण का आरोप लगाया गया था. यही पत्र सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपनी खबर में उजागर किया था. बाद में छत्रपति की भी हत्या कर दी गई थी. डेरा प्रमुख को सिरसा के पत्रकार की हत्या में भी दोषी पाया गया था.

इसके बाद, छत्रपति की हत्या हो गई. डेरा के प्रमुख को उस पत्र के पीछे रंजीत सिंह का हाथ होने का शक था, जिसके बाद उन्होंने उसे मारने की साजिश रची थी.

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