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Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के डॉक्टर सोमवार, 29 मई, 2023 से पेन डाउन हड़ताल (Himachal Doctors Pen Down Strike) पर हैं. सुबह 9.30 बजे से लेकर 11 बजे तक यानी डेढ़ घंटे तक डॉक्टर ड्यूटी न देते हुए ओपीडी (OPD) से बाहर हड़ताल पर रहे हैं, डॉक्टर्स का कहना है कि ये सिलसिला लगातार जारी रहेगा, जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती है.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार ने डॉक्टर्स का NPA बंद कर दिया है. जिसके विरोध में ये स्ट्राइक हो रही है. हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (HMOA) ने नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (NPA) बहाल नहीं होने तक हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है. वहीं 11 बजे के बाद सभी डॉक्टर काला बिल्ला लगाकर NPA बंद करने का विरोध करेंगे.
हड़ताल के पहले ही दिन सुबह डेढ़ घंटे डॉक्टरों की ओपीडी में नहीं बैठने से अस्पतालों के मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा और अगर सरकार डॉक्टर्स की मांग नहीं मानती है तो ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.
हड़ताल जारी है, लेकिन हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (HMOA) ने ये घोषणा की है कि आपातकालीन सेवाओं को बाधित नहीं होने दिया जाएगा और न ही ऑपरेशन थिएटर सेवाओं को बाधित किया जाएगा. एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि जल्द ही एनपीए बहाल नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज किया जाएगा.
बता दें कि आर्थिक संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार (Sukhvinder Singh Sukhu) ने स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, दंत चिकित्सा और पशुपालन विभागों में भविष्य मंन पदस्थापित होने वाले डॉक्टरों के एनपीए को बंद करने का फैसला किया है. वहीं सरकार के इस फैसले से डॉक्टर नाराज हैं.
बता दें कि NPA बंद मामले को लेकर शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल (Dhani Ram Shandil) और डॉक्टरों के बीच बैठक भी हो चुकी है, लेकिन बैठक बेनतीजा रही और इसमें NPA को लेकर किसी तरह का हल नहीं निकला, जिसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. जाहिर है सरकार नहीं मानती है तो आने वाले दिनों में डॉक्टर और सरकार के बीच टकराव बढ़ने वाला है और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा.
इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि-
हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (HMOA) के प्रेस सचिव डॉक्टर विजय राल ने कहा कि NPA को बंद करना उचित नहीं है. इससे डॉक्टर हतोत्साहित होंगे.
बता दें कि डॉक्टरों को बेसिक सैलरी का 20 फीसदी NPA मिलता है और इसका उद्देश्य डॉक्टरों को चिकित्सीय सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करना है और ये भारत सरकार की सिफारिश पर सभी राज्यों में दिया जाता है, लेकिन सुक्खू सरकार ने माली की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे बंद करने का फैसला किया है.
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