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PM मोदी ने खत्म किए लोकतंत्र के तीन नासूर,शाह के भाषण की 10 बातें
अमित शाह के भाषण की 10 बड़ी बातें
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भारत
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PM मोदी ने खत्म किए लोकतंत्र के तीन नासूर,शाह के भाषण की 10 बातें
(फाइल फोटो: Facebook.com/BharatiyaJanataParty)
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तीन तलाक बिल अब कानून बन चुका है और केंद्र सरकार इसके लिए श्रेय लेने से नहीं चूकती. 18 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने 'तीन तलाक' कानून पर कहा कि जो तीन तलाक बिल का विरोध करते रहे, वो भी अपने मन के अंदर जानते हैं कि ये एक कुप्रथा है, लेकिन वो कभी इसको दूर करने की कोशिश नहीं कर सके. शाह ने इस कहा कि परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टिकरण की राजनीति ऐसे तीन नासूर थे जिन्होंने लोकतंत्र पर संकट के बादल खड़े किए थे, पीएम मोदी और केंद्र सरकार ने इन नासूरों को खत्म करने का काम किया है.
अमित शाह के भाषण की 10 बड़ी बातें
16 इस्लामिक देशों ने 1922 से 1963 तक अलग-अलग समय पर तीन तलाक की कुप्रथा को दूर कर दिया था. हमें 56 साल लगे इसे दूर करने में. इसका कारण था कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति. ये गैर इस्लामिक था और इसे कुरान का समर्थन नहीं था, इसलिए इस्लामिक राष्ट्रों ने इसे हटा दिया था.
देश की सामाजिक समरसता के आड़े तुष्टीकरण की राजनीति आई है. इस राजनीति के कारण ही इतने साल तक तीन तलाक जैसी कुप्रथा को भारत में दूर नहीं किया जा सका. शॉर्टकट लेकर सत्ता प्राप्त करने की कोशिश इसके पीछे कारण था.
जिनके मन में वोटों का लालच है और लोगों के लिए संवेदना नहीं है वो ही तुष्टीकरण की राजनीति करते रहते हैं.
इतने सालों से ये इसलिए खत्म नहीं हो सका, क्योंकि तुष्टीकरण की राजनीति चलती रही. तुष्टीकरण के कारण वोट बैंक की राजनीति बनी और इसके कारण कई बार सरकार बनाते रहे.
नरेंद्र मोदी की सबको साथ लेकर चलने की राजनीति को देश की जनता ने 2019 में ठप्पा लगाकर, तुष्टिकरण की राजनीति को भगा दिया. 2014 में देश की जनता ने बीजेपी को सत्ता सौंपकर इस राजनीति को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाया. अगर आज भी हम इसे दूर नहीं कर पाते, तो भारत के लोकतंत्र के लिए एक धब्बा होता.
कांग्रेस पार्टी को आज भी शर्म नहीं है. वो आज भी इसका विरोध करते हैं, लेकिन उनके पास कोई कारण नहीं है. कोई तर्क नहीं है. बिल पर संसद में चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने कहा कि इसे क्रिमिनल केस में क्यों बदला जा रहा है. लेकिन याद रखें कि सामाजिक सुधार के कई कामों में ऐसी प्रक्रिया अपनाई गईं.
ऐसा नहीं है कि तीन तलाक को क्रिमिनल बनाने से ये मामले रुक जाएंगे, लेकिन हत्याएं भी नहीं रुकती, तो हत्या पर लगने वाली सजा को खत्म कर दें क्या?
ये लड़ाई कोई आज की नहीं है बल्कि कई सालों से चल रही है. इंदौर की शाहबानो ने तीन तलाक के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी थी और सुप्री कोर्ट ने न्याय दिया था. लेकिन राजीव गांधी ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में आकर इसे संसद से निरस्त कर दिया. इस बार कांग्रेस की राजीव गांधी की सरकार नहीं थी, बल्कि नरेंद्र मोदी की बीजेपी सरकार थी. हमने फैसला किया कि इस कुप्रथा को खत्म करके रहेंगे.
सती प्रथा और दहेज हत्या के खिलाफ कानून बने और किसी ने इसके खिलाफ विरोध नहीं किया. ये गलत प्रथाएं थी और इनके खिलाफ कानून बनने का हम सब समर्थन करते हैं.
बाकी सरकारों ने 25-30 सालों में कुछ ऐतिहासिक निर्णय किए लेकिन मोदी सरकार ने सिर्फ 5 सालों में कई ऐतिहासिक निर्णय ले लिए हैं.