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तारीख 8 अक्टूबर, दिन शुक्रवार भारतीय उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) एक ट्वीट करते हैं. ट्वीट में लिखते हैं "वेलकम बैक एयर इंडिया". दरअसल घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया फिर 18 हजार करोड़ में टाटा संस के पास वापस आ जाती है.
बिल्कुल यह एयर इंडिया (Air India) की घर वापसी है. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जो एयर इंडिया दशकों पहले टाटा के पास था वो सरकारी हो गया था?
दरअसल टाटा की ये सरकार के प्रति नाराजगी थी क्योंकि नेहरू भारतीय एयर लाइन एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण करना चाह रहे थे.
1953 में सरकार ने एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया और कंपनी सरकार के पास आ गई.
कहानी यहां से शुरु होती है जब जेआरडी अपने दोस्त के साथ मिलकर ‘टाटा एयर मेल’ नाम से कंपनी खोलते हैं. वो दो सेकेंड हैंड सिंगल इंजन एयर क्राफ्ट खरीदते हैं, 11 लोग स्टाफ में होते हैं, दो पायलट, तीन इंजीनियर, चार कुली और दो चौकीदार नियुक्त होते हैं.
साल 1946 में कंपनी का नाम हो जाता है एयर इंडिया और इसी के साथ इसे पब्लिक कंपनी बना दिया जाता है. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए टाटा सरकार के साथ मिलकर ‘एयर इंडिया इंटरनेशनल’ का गठन करती है. टाटा और सरकार के बीच समझौता होता है जिसके तहत एयर इंडिया के 49% की हिस्सेदारी सरकार अपने पास रखती है.
1952 में पूरी दुनिया की एयरलाइन कंपनी घाटा दिखाने लगती हैं. इन सब के बीच भारत को एयर इंडिया की चिंता होती है जिसमें उसकी 49% की हिस्सेदारी होती है. तभी भारत का योजना आयोग सभी एयरलाइंस को एकीकृत करके उनका निगम बनाने की सिफारिश करता है. जिसके बाद एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हो जाता है.
इसे खरीदने में टाटा संस सबसे आगे रहती है और एयर इंडिया दोबारा टाटा के पास आ जाती है. बता दें कि अब एयर इंडिया के अलावा टाटा के पास एयर एशिया और विस्तारा एयर लाइंस की हिस्सेदारी भी मौजूद है.
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