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हरियाणा के बरावाला में स्थित सतलोक आश्रम के रामपाल को अब जिंदगी भर जेल में ही रहना होगा. हिसार की कोर्ट ने रामपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई है. हत्या और लोगों को बंधक बनाए जाने का दोषी रामपाल कभी इंजीनियर था. लेकिन वक्त ने ऐसी करवट बदली वो संत रामपाल बन गया.
रामपाल का जन्म सोनीपत में हुआ था और वो हरियाणा सरकार के सिचाई विभाग में वो जूनियर इंजीनियर था. इसके बाद वह स्वामी रामदेवानंद महाराज से संपर्क में आया और उनका शिष्य बन गया. रामपाल ने 1995 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सत्संग करने लगा.
इसके बाद रामपाल तब खबरों में आया जब 2006 में उसने स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर टिप्पणी की. इसके बाद दोनों के समर्थकों के बीच झड़प हुई और इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसके बाद रामपाल की गिरफ्तारी हुई पर वो जेल से बाहर आ गया. लेकिन आर्य समाज से उनके समर्थकों की समय-समय पर झड़प जारी रही.
साल 2014 में पुलिस रामपाल को पकड़ने के लिए उसके आश्रम पहुंची थी. रामपाल पर सरकारी कामों में बाधा डालने और आश्रम में जबरन लोगों को बंधक बनाने का केस दर्ज था. लेकिन उसे गिरफ्तार करने में पुलिस के पसीने छूट गए थे. पुलिस जब गिरफ्तारी के लिए पहुंची थी तब रामपाल के समर्थकों ने पूरे आश्रम को घेर लिया था. इस दौरान समर्थकों और पुलिस के बीच जमकर हिंसा भी हुई थी. इसी हिंसा में 5 महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई थी.
पूरे ऑपरेशन में सरकार ने 26 करोड़ रुपये से अधिक रुपये खर्च किए थे.
केस नंबर - 429
ये मामला 4 महिलाओं और एक बच्चे की मौत का है. इसमें रामपाल सहित कुल 15 आरोपी हैं.
केस नंबर-430
ये मामला एक महिला की मौत का है जिसमें रामपाल सहित 13 आरोपी हैं.
इन दोनों मुकदमों में रामपाल समेत 6 लोग ऐसे हैं, जो दोनों मुकदमों में आरोपी हैं.
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