Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर क्या कहती है ह्यूमन राइट्स वॉच रिपोर्ट?

अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर क्या कहती है ह्यूमन राइट्स वॉच रिपोर्ट?

ह्यूमन राइट्स वॉच की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में भी विफल रही

अश्विनी शुक्ला
भारत
Published:
कश्मीर: एक जनाजे के दौरान मातम मानती महिलाए 
i
कश्मीर: एक जनाजे के दौरान मातम मानती महिलाए 
(फोटो : AP)

advertisement

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से केंद्र सरकार लगातार दावा करती आई है कि कश्मीर में सब ठीक है और जनजीवन सामान्य है. जबकि हाल ही में जारी हुई, ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की रिपोर्ट इन सभी सरकारी दावों को सिरे से खारिज करती है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी वर्ल्ड रिपोर्ट 2020 में कहा कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार की एकतरफा कार्रवाई से कश्मीरियों को काफी तकलीफ पहुंची है और उनके मानवाधिकारों का उल्लघंन किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया-

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्य का विशेष संवैधानिक दर्जा रद्द कर इसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. इससे पहले ही सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई नेताओं और लोगों को बिना किसी चार्ज के हिरासत में ले लिया था. सरकार ने इसे एहतियात के तहत उठाया गया कदम बताया लेकिन हिरासत में लिए गए लोगों के साथ बर्बरता की कई रिपोर्ट सामने आई हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में भी फेल रही है. सरकार ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए राजद्रोह(सेडिशन) और आतंकवाद रोधी UAPA जैसे कठोर कानूनों का इस्तेमाल किया.

साथ ही रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सरकार के काम और नीतियों की आलोचना करने वाले लोगों और गैर-सरकारी संगठनों की आवाज दबाने के लिए फॉरेन फंडिंग रेगुलेशन और दूसरे कानूनों का भी इस्तेमाल किया.

“भारत सरकार ने कश्मीर को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की कोशिश की है. सरकार वहां हुए नुकसान की पूरी तस्वीर छिपा रही है. अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को रोकने के बजाय, उसने 2019 में आलोचकों की आवाज दबाने के प्रयासों को तेज कर दिया.”
मीनाक्षी गांगुली, ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया निदेशक

652 पन्नों की रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वॉच ने लगभग 100 देशों में मानवाधिकारों की समीक्षा की है.

चीन वैश्विक मानवाधिकार के लिए खतरा

अपने ओपनिंग रिमार्क में, कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ ने कहा है कि, “सत्ता में बने रहने के लिए चीन की सरकार, दमनकारी नीतियों पर निर्भर है. चीन का ये रवैया वैश्विक मानवाधिकार के लिए सबसे बड़ा खतरा है.”

ह्यूमन राइट्स वाच का दावा है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में लगभग 1 मिलियन मुसलमानों को हाई-सिक्योरिटी वाले हिरासत केंद्रों में नजरबंद किया गया है.
वीगर मुसलमानों के गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करती एक महिला (फोटो : AP)

वह कहते हैं कि, “बीजिंग की कार्रवाई दुनिया भर के निरंकुश पॉपुलिस्ट शासकों को बढ़ावा दे रही है. दूसरे देशों की सरकारों को आलोचना से रोकने के लिए चीन अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल कर रहा है. यह बेहद जरुरी है कि इस हमले का विरोध किया जाए, जो मानवाधिकारों पर कई दशकों में हुई प्रगति और हमारे भविष्य के लिए खतरा है.”

जम्मू कश्मीर की कार्रवाई पर उठाये सवाल ?

इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में अपनी कार्रवाई से पहले, सरकार ने राज्य में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की, इंटरनेट और फोन बंद कर दिए और मनमाने ढंग से हजारों कश्मीरियों को हिरासत में ले लिया, जिनमें राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता, पत्रकार, वकील और बच्चों सहित संभावित प्रदर्शनकारी शामिल थे.

विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए सैकड़ों लोगों को बिना किसी आरोप के हिरासत में लिया गया या घरों में नजरबंद कर दिया गया.

जम्मू कश्मीर में तैनात पुलिसकर्मी (फोटो : AP)
भारत में इंटरनेट शटडाउन के 85 मामले हुए, जिसमें से 55 अकेले जम्मू-कश्मीर में हुए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

धार्मिक अल्पसंख्यकों को बचाने में विफल रही सरकार

ह्यूमन राइट्स वॉच की ये रिपोर्ट भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का जिक्र भी करती है. रिपोर्ट के मुताबिक, धार्मिक अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर समुदायों के खिलाफ भीड़ की हिंसा की घटनाओं, जिनका नेतृत्व अक्सर बीजेपी समर्थक करते पाए गए, को रोकने और उनकी जांच करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ठीक से लागू करने में सरकार विफल रही है.

गोमांस के लिए गायों का व्यापार या हत्या की अफवाहों के बीच कट्टरवादी हिन्दू समूहों की हिंसा में 50 लोग मारे गए और 250 से अधिक घायल हुए हैं.

इन हिंसा के दौरान मुसलमानों को पीटा भी गया और उन्हें हिंदुवादी नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया.

मॉब लिंचिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते लोग (फोटो : PTI)

रिपोर्ट में पुलिस पर भी सवाल उठाए गए है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि पुलिस अपराधों की सही तरीके से जांच करने में विफल रही है, उन्होंने जांच को बाधित किया है, प्रक्रियाओं की अनदेखी की है और गवाहों को परेशान करने और डराने के लिए आपराधिक मामले दर्ज किए.

आदिवासियों पर जबरन विस्थापन का खतरा

फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों को बेदखल करने का फैसला सुनया, जिनके दावे ‘वन अधिकार कानून’ के तहत खारिज कर दिए गए थे. इस फैसले से लगभग 20 लाख आदिवासी समुदाय के लोगों और वनवासियों पर जबरन विस्थापन और रोजी-रोटी के छिन जाने का खतरा बना हुआ है.

NRC पर ह्यूमन राइट्स वॉच का रुख

उत्तर-पूर्वी राज्य असम में सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू किया गया. इसका उद्देश्य है बांग्लादेश से आये अवैध निवासियों की पहचान करना. लगभग बीस लाख लोग इस नागरिकता सूची से बाहर हैं, जिनमें अनेक मुस्लिम हैं. सूची से बाहर रह गए लोगों में कई तो ऐसे हैं जो वर्षों से भारत में रह रहे हैं या फिर अपनी पूरी जिंदगी यहीं गुजारी है.

ऐसे गंभीर आरोप लगे हैं कि वेरीफिकेशन प्रक्रिया मनमानी और भेदभावपूर्ण थी. हालांकि लोगों को अपील करने का अधिकार है. सरकार अपील के बाद नागरिकता से बाहर लोगों के लिए डिटेंशन सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रही है.

रिपोर्ट के अंत में लिखा गया है कि कश्मीर में भारत सरकार की कार्रवाई से कश्मीरियों की रोजी-रोटी और शिक्षा का नुकसान हुआ है. अमेरिकी कांग्रेस, यूरोपीय संसद और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सरकार की दमनात्मक कार्रवाई की आलोचना हुई. पूरे साल, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने भारत में गैर-न्यायिक हत्याओं, असम में लाखों लोगों की संभावित राज्यविहीनता, आदिवासी समुदायों और वनवासियों की संभावित बेदखली और कश्मीर में संचार प्रतिबंधों सहित कई मुद्दों पर चिंता व्यक्त की.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT