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(चेतावनी: इस स्टोरी में सुसाइड का जिक्र है, पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें)
(अगर आपके मन में भी खुदकुशी का ख्याल आ रहा है या आपके जानने वालों में कोई इस तरह की बातें कर रहा हो, तो लोकल इमरजेंसी सेवाओं, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ NGOs के इन नंबरों पर कॉल करें.)
" शव कमरे में पड़ा रहा. सुबह पुलिस के आने के बाद कमरे से बाहर निकाला. जबकि ऐसे मामलों में तुरन्त हॉस्पिटल ले जाया जाता है."
ये आरोप उस पिता के हैं, जिनके बेटे का शव भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (IIT-G) के हॉस्टल के कमरे में मिला. 8-9 सितंबर की दरमियानी रात को, IIT-G में BTech थर्ड ईयर के छात्र बिमलेश कुमार अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाए गए. 21 वर्षीय बिमलेश, उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले थे और IIT-G में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे.
बिमलेश के पिता रास बिहारी राम CISF में हवलदार हैं और झारखंड के धनबाद में कार्यरत हैं. क्विंट हिंदी से बातचीत में वो कहते हैं, "इस तरह के मामलों में सबसे पहले हॉस्पिटल ले जाया जाता है. सबसे पहले तो जान बचाने की कोशिश होनी चाहिए. लेकिन कॉलेज प्रशासन से लापरवाही हुई."
क्विंट से बातचीत में कामरूप जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रंजन भुइयां ने कहा, "रात को सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई थी. क्योंकि ये सुसाइड से जुड़ा मामला था और इनक्वेस्ट (Inquest) की कार्रवाई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट करते हैं, तो उन्हें इसकी सूचना दी गई और सुबह उनके आते ही इनक्वेस्ट की कार्रवाई की गई. IIT के डॉक्टरों ने छात्र की जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया था. पुलिस ने प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्रवाई की."
क्विंट हिंदी ने बिमलेश के पिता के आरोपों पर IIT-G प्रशासन से भी संपर्क किया है. जवाब आते ही कॉपी को अपडेट किया जाएगा.
बेटे की मौत ने परिवार को झकझोर दिया है. पूरा परिवार सदमे है. अभी भी उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है. रास बिहारी राम बताते हैं कि शनिवार, 7 सितंबर की शाम में आखिरी बार उनकी बिमलेश से बात हुई थी. रविवार, 8 सितंबर को वो 12 घंटे की ड्यूटी के बाद जब अपने कमरे पर लौटे तो उन्होंने बिमलेश को फोन लगाया. लेकिन फोन स्विच ऑफ आ रहा था. इसके बाद उन्होंने अपने बड़े बेटे को पता करने के लिए कहा. रात करीब 9 बजे तक जब कुछ पता नहीं चला तो वो सो गए. वो आगे कहते हैं,
रास बिहारी राम ने आगे बताया कि रात करीब 12 बजकर 16 मिनट (9 सितंबर की रात) पर हॉस्टल के वॉर्डन ने उन्हें बिमलेश की मौत के बारे में फोन पर जानकारी दी. रात में वो ट्रेन से कोलकाता पहुंचे और फिर फ्लाइट से सुबह करीब 11 बजे गुवाहाटी.
कैंपस पहुंचने पर उन्होंने देखा कि उनके बेटे का शव हॉस्टल के तीसरी मंजिल के कमरे के बाहर रखा हुआ था. मौके पर मजिस्ट्रेट सहित पुलिस के अधिकारी और जवान मौजूद थे. औपचारिकता पूरी करने के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया.
पिता रास बिहारी राम कहते हैं, "उसका एक दोस्त बता रहा था कि सुबह उन लोगों ने एक साथ नाश्ता किया था. लेकिन फिर दोपहर और शाम में उसने खाना नहीं खाया था."
वो आगे कहते हैं, "अचानक ऐसा क्या हो गया कि उसने इस तरह का कदम उठा लिया, कुछ समझ में भी नहीं आ रहा है. कॉलेज में कहीं न कहीं बच्चों को ऐसे ट्रीट किया जा रहा है या फिर लापरवाही हो रही है, जो बच्चे ऐसा कदम उठा रहे हैं."
परिवार वालों के मुताबिक, बिमलेश ने उन लोगों को बताया था कि अटेंडेंस कम होने की वजह से उसके एक पेपर में बैक लगा था.
पिता रास बिहारी राम बताते हैं कि उन्होंने इसके बारे में वॉर्डन और टीचर से भी पूछा है. वो कहते हैं, "वॉर्डन से मैंने पूछा कि आपने बिमलेश से कहा था कि उसे रेस्टिकेट कर देंगे. वार्डन ने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था. आप टीचर से पूछ लीजिए. फिर मैंने टीचर से पूछा कि क्या आपने ऐसा कहा था? फिर क्यों बिमलेश ने मुझे ऐसा बताया था. आपने पेपर बैक क्यों लगाया? अटेंडेंस नहीं था तो आपने बैक क्यों लगाया? वो तो एग्जाम देकर आया था. पास भी हो गया था. आपने उसके मेडिकल की जांच क्यों नहीं की?"
उन्होंने बताया कि टीचर ने उनसे कहा था कि 'शॉर्ट नोटिस देकर पास कर देते हैं. किसी को फेल नहीं करते हैं.'
इसके साथ ही वो कहते हैं, "जब डॉक्टर ने लिखकर दे दिया कि उसे मेडिकल प्रॉब्लम है. इसके बावजूद मेडिकल सर्टिफिकेट स्वीकार नहीं करके कॉलेज प्रशासन ने गलत किया है."
बिमलेश की बीमारी के बारे में बात करते हुए वो बताते हैं कि "गुवाहाटी में भी उसने डॉक्टर से कंसल्ट किया था. वहां माइग्रेन का इलाज चला. वो ठीक भी हो गया था. लेकिन अब बीच में कैसे इतना प्रेशराइज हो गया, पता नहीं."
बड़े भाई योगेश कुमार ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि पेपर बैक को लेकर उनकी बिमलेश से बात हुई थी. बिमलेश ने तब कहा था, "भैया इतनी मेहनत करने के बाद भी अटेंडेंस की वजह से मुझे फेल कर दिया गया."
योगेश बताते हैं कि आखिरी बार शनिवार को उनकी बिमलेश से बात हुई थी. "हमारे बीच ठीक-ठाक बात हुई थी. करीब आधे घंटे बातचीत चली थी. संडे को फोन ही नहीं रिसीव हुआ."
पिता कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहते हैं, "अगर कोई मनोचिकित्सक या कंसल्टेंट लगाते तो शायद ऐसा नहीं होता. डिप्रेशन ऐसी चीज है कि इसमें सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है."
वहीं योगेश कहते हैं,
शॉर्ट अटेंडेंस को लेकर क्या परीक्षा से पहले कोई नोटिस मिला था, इस सवाल पर योगेश दावा करते हुए कहते हैं कि "कोई नोटिस नहीं दिया गया था."
बिमलेश की मौत के बाद IIT-G कैंपस में छात्रों का विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला. स्टूडेंट्स ने अटेंडेंस नीतियों में छूट, मिड सेमेस्टर और एंड सेमेस्टर के कार्यक्रमों में सुधार सहित कई मांग उठाई. इस बीच एकेडमिक डीन केवी कृष्णा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
पिता रास बिहारी राम बताते हैं कि उनका बेटा एक जीनियस लड़का था. बिमलेश ने वाराणसी सेंट्रल हिंदू बॉयज स्कूल (सीएचएस) से 10वीं तक की पढ़ाई की थी. हाई स्कूल परीक्षा में उन्हें 94 फीसदी मार्क्स मिले थे. जबकि इंटरमीडिएट उन्होंने बलिया के सूर्यबदन विद्यापीठ से किया, जिसमें उन्हें 92% मार्क्स आए थे. दिल्ली और कोटा में रहकर बिमलेश ने IIT की तैयारी की थी. पहले अटेंप्ट में उनका सिलेक्शन हो गया था.
भाई योगेश कहते हैं, "बिमलेश ब्रिलियंट लड़का था. वो सीएचएस टॉपर था. NTSE क्वालिफाइड था और उसे फेलोशिप भी मिलती थी. BTech के बाद बिमलेश का आगे क्या करने का प्लान था, इस पर योगेश बताते हैं कि इस बारे में हमारी शुक्रवार को चर्चा हुई थी.
मंगलवार, 10 सितंबर को बिमलेश का बलिया में अंतिम संस्कार हुआ.
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