advertisement
दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (DCPCR) ने द क्विंट में 15 मार्च को छपी एक खोजी रिपोर्ट का संज्ञान लिया है. ये रिपोर्ट इस तथ्य को उजागर करती है कि वयस्क कैदियों के लिए जो जेल बनाई गई है, किशोर बच्चों को उसी में रखा जा रहा है.
Over 123 Juveniles in Tihar: Why Children End Up in ‘Adult Jails’ हेडलाइन के साथ छपी रिपोर्ट के आधार पर कमीशन ने तिहाड़ जेल के डायरेक्टर जनरल को नोटिस जारी किया है और मामले पर सफाई मांगी है.
DCPCR ने जो नोटिस जारी किया है उसमें द क्विंट की रिपोर्ट में पाए गए निष्कर्षों की तरफ इशारा किया गया है. रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया था कि स्पष्ट कानून होने के बावजूद तिहाड़ जेल में कैद कुल 123 कैदी किशोर पाए गए.
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कैसे देश की ज्यादातर जेलों में इस बात का डेटा तक नहीं रखा जाता कि कैसे किशोरों को वयस्कों के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का हिस्सा बना लिया जाता है. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दिशा निर्देश जारी किए हैं लेकिन इन सब का उल्लंघन किया गया.
जिन 8 जेलों से आरटीआई का जवाब आया उनमें से 5 ने ये बताया कि वो जेल में आने वाले किशोरों का डेटा मेनटेन नहीं करते. ये दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों का साफतौर पर उल्लंघन है. डेटा मेनटेन करने की कमी और साथ में आरटीआई का जवाब न देना साफ तौर पर ये दिखा है कि तिहाड़ जेल में बंद असल किशोर कैदियों की संख्या 123 से ज्यादा है.
इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट के स्वतः संज्ञान मामले में एमीकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट एचएस फूलका ने द क्विंट की स्टोरी को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)