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लद्दाख में भारत और चीन के बीच का तनाव कम होता दिख रहा है. न्यूज एजेंसी ANI ने शीर्ष सरकारी सूत्रों के हवाले से ये खबर दी है कि चीन के सैन्य दल और इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल्स गलावन इलाके से 2.5 किलोमीटर पीछे हट गए हैं. भारत की तरफ से भी कुछ सैन्य दलों को पीछे बुला लिया गया है.
दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की मीटिंग के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश सीमा पर द्विपक्षीय समझौतों के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से विवाद का हल निकालने को तैयार हैं. यह मीटिंग चुशुल-मोल्डो इलाके में चीन की क्षेत्र में हुई. विदेश मंत्रालय ने बताया था-
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की सबसे बड़ी वजह है दोनों देशों के बीच सीमा संबंधित किसी समझौते का नहीं होना. इसके अलावा कम से कम तीन ऐसी वजह हैं जो समय-समय पर तनाव को जन्म देते रहते हैं. पहली वजह है तिब्बत, जिस पर चीन ने 1950 में कब्जा कर लिया. इसके साथ ही चीन ने तिब्बत के साथ 1914 में ब्रिटिश भारत के समझौते को मानने से यह कहते हुए मना कर दिया कि तिब्बत को समझौते का अधिकार ही नहीं था क्योंकि वह हमेशा से चीन का हिस्सा रहा है. यह समझौता मैकमोहन लाइन के नाम से जाना जाता है. अपनी इसी सोच के कारण चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा बताता है. दूसरी वजह है अक्साई चीन, जिस पर चीन ने 1962 में कब्जा कर लिया था. भारत अक्साई चीन पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं है. तीसरी वजह यह है वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर असमंजस की स्थिति. ऐसा इसलिए है क्योंकि हिमालयन क्षेत्र होने और सीमा संबंधी समझौते के अभाव में एलएसी की स्थिति कई जगह स्पष्ट नहीं हो पाती है. भारत और चीन के सैनिक परस्पर उलझ जाते हैं और समय-समय पर विवाद देखने को मिलते हैं.
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