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पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर लंबी तनातनी के बाद अब लगातार डिएस्कलेशन की कोशिशें जारी हैं. भारत और चीन दोनों देशों की सेना और कूटनीति के स्तरों पर बातचीत हो रही है. 14 जुलाई को चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी और भारतीय सेना के कमांडर्स के बीच भारतीय क्षेत्र स्थित चुसुल में चौथे दौर की बातचीत हुई.
5 जुलाई को भारत चीन के स्पेशल रिप्रिजेंटेटिव के बीच हुई बातचीत में दोनों पक्षों ने पूरी तरह से डिस्एंगेजमेंट पर चर्चा की थी. 14 जुलाई को हुई बैठक में सीनियर कमांडर्स ने पहले चरण के डिसएंगेजमेंट को रिव्यू किया और पूरी तरह से डिसएंगेजमेंट को लागू करने के संबंध में कदम उठाने पर चर्चा की.
9 जुलाई को खबर आई थी कि दोनों देशों की सेनाएं अपनी पहले वाली स्थिति में जा चुकी हैं. यानी दोनों देशों के बीच सहमति के बाद जो तय किया गया था वो अब पूरा हो चुका है. बताया गया है कि ईस्टर्न लद्दाख में तीन प्वाइंट्स पर भारत और चीन की सेनाएं पीछे हटी. चीनी सैनिक हॉट स्प्रिंग एरिया (पेट्रोलिंग प्वाइंट 17) से करीब दो किलोमीटर पीछे हटे.
15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव काफी ज्यादा बढ़ चुका था. सेनाएं बॉर्डर पर तैनात थीं, एयरफोर्स के फाइटर जेट भी लद्दाख के आसमान में गरजते हुए दिख रहे थे. लेकिन इसी बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री ने फोन पर बात की. तमाम बातचीतों के बाद इन दोनों की ये बातचीत कामयाब साबित हुई और दोनों देश डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हो गए.
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