भारत और चीन के बीच पिछले कई हफ्तों से चल रही तनातनी के बाद अब दोनों देशों की सेनाएं अपनी पहले वाली स्थिति में जा चुकी हैं. यानी दोनों देशों के बीच सहमति के बाद जो तय किया गया था वो अब पूरा हो चुका है. बताया गया है कि ईस्टर्न लद्दाख में तीन प्वाइंट्स पर भारत और चीन की सेनाएं पीछे हटी हैं. चीनी सैनिक हॉट स्प्रिंग एरिया (पेट्रोलिंग प्वाइंट 17) से करीब दो किलोमीटर पीछे हटे हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक गुरुवार को दोनों देशों की सेनाओं की तरफ से ये डिसइंगेजमेंट का प्रोसेस पूरा किया गया. इससे पहले कहा गया था कि अलग-अलग चरणों में अगले कुछ दिनों के भीतर दोनों देश अपने जवानों को पीछे करेंगे. जिसके बाद अब पेट्रोलिंग प्वाइंट-14, पेट्रोलिंग प्वाइंट- 15 और पेट्रोलिंग प्वाइंट-17 पर पूरी तरह से डिसइंगजमेंट हो चुका है. हालांकि फिंगर एरिया पर अब भी चीन के जवान मौजूद हैं. इसे लेकर फिलहाल चीनी सेना विचार कर रही है.
इन सभी प्वाइंट्स पर चीनी सेना तय दूरी के मुताबिक 2 किलोमीटर तक पीछे चली गई है. इसके अलावा भारतीय जवान भी इन पेट्रोलिंग प्वाइंट्स से इतनी ही दूरी तक पीछे आए हैं. ये वही स्थान हैं, जहां पर मई के पहले हफ्ते तक चीन की सेना रहती थी. लेकिन बाद में वो आगे बढ़ी और वहां अपने कई जवान तैनात कर दिए.
बताया जा रहा है कि इस डिसइंगेजमेंट प्रोसेस के पूरा होने के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत हो सकती है. जिससे बाकी जगहों को लेकर भी सहमति बन सके.
तनाव के बीच कैसे बनी सहमति?
15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव काफी ज्यादा बढ़ चुका था. सेनाएं बॉर्डर पर तैनात थीं, एयरफोर्स के फाइटर जेट भी लद्दाख के आसमान में गरजते हुए दिख रहे थे. लेकिन इसी बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री ने फोन पर बात की. तमाम बातचीतों के बाद इन दोनों की ये बातचीत कामयाब साबित हुई और दोनों देश डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हो गए.
इस पूरी बातचीत में कहा गया कि दोनों तरफ के नेताओं की आम सहमति से सीमा पर शांति कायम रखने के लिए काम करना चाहिए. भारत-चीन सीमा पर शांति कायम रखना दोनों ही देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए काफी जरूरी है. दोनों देशों को आपसी मतभेदों को विवाद में तब्दील नहीं होने देना चाहिए.
अब चीन की सेना पेट्रोलिंग प्वाइंट्स से उसी स्थिति में जा रही है जहां वो पहले थी. लेकिन इसके बावजूद भारतीय सेना लगातार चीन के जवानों की हर हरकत पर नजर बनाए हुए है. किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है. क्योंकि चीन ने 1962 में भी कुछ इसी तरह पहले पीछे हटने की बात कही थी और बाद में जंग छेड़ दी.
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