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चीन बोला-तनाव के लिए भारत जिम्मेदार, भारत ने कहा-यथास्थिति बदली गई

राजनाथ सिंह ने मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंघे के साथ बैठक की

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राजनाथ सिंह ने मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंघे के साथ बैठक की
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राजनाथ सिंह ने मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंघे के साथ बैठक की
(फोटो: ट्विटर/राजनाथ सिंह)

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भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंघे के साथ शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) में बैठक की. सिंह ने बैठक में कहा कि चीन ने एकतरफा ढंग से यथास्थिति को बदलने की कोशिश की और ये द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन था. इससे पहले चीन ने LAC पर जारी स्थिति के लिए भारत को 'जिम्मेदार' ठहराया था और कहा था कि चीन 'अपने क्षेत्र की एक इंच जमीन' भी नहीं छोड़ेगा.

दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के साथ-साथ संबंधों के विकास के बारे में खुलकर गहन चर्चा की. सिंह ने पिछले कुछ महीनों में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में गलवान घाटी सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ हुए घटनाक्रम पर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया.

चीन ने क्या कहा?

SCO में बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहुंची सहमति को गहराई से लागू करना चाहिए और बातचीत और परामर्श के माध्यम से मुद्दों को हल करना जारी रखना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने माना कि विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का सख्ती से पालन करना चाहिए, सीमावर्ती सैनिकों के विनियमन को मजबूत करना चाहिए और ऐसी कोई भी उत्तेजक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे स्थिति खराब हो.

बैठक के दौरान जनरल फेंघे ने सुझाव दिया कि दोनों पक्षों को सभी मंत्रियों सहित सभी स्तरों पर संचार बनाए रखना चाहिए. चीनी रक्षा मंत्री ने संदेश दिया कि चीनी पक्ष भी शांतिपूर्ण ढंग से मुद्दों को हल करना चाहता है

वहीं, चीन की सरकार ने सीमा पर तनाव के लिए भारत को 'जिम्मेदार' बताया और कहा,

भारत-चीन सीमा पर मौजूदा तनाव का सच और वजह साफ है और इसकी जिम्मेदार भारत है. चीन अपने क्षेत्र की इंच भर जमीन भी नहीं खो सकता है और उसकी सेना राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध, सक्षम और विश्वास से भरी हुई है.  
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भारत का जवाब

राजनाथ सिंह ने बैठक में कहा, "चीनी सेना की कार्रवाई, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करना, आक्रामक रवैया और यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास शामिल है, द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन है."

सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया है, लेकिन भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए उनके दृढ़ संकल्प में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.

सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों के नेताओं की आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति द्विपक्षीय संबंधों के आगे के विकास के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए. राजनाथ सिंह ने माना कि दोनों पक्षों को सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रही स्थिति और मुद्दों को शांति से बातचीत के माध्यम से हल करना चाहिए.

ये महत्वपूर्ण है कि चीन भारतीय पक्ष के साथ पैंगोंग झील सहित सभी गतिरोध वाले क्षेत्रों से जल्द से जल्द सैनिकों को हटाए. यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास नहीं किए जाने चाहिए.  
राजनाथ सिंह

सिंह ने संदेश दिया कि दोनों पक्षों को अपनी चर्चा जारी रखनी चाहिए, जिसमें कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से, जल्द से जल्द LAC के साथ पूर्ण शांति बहाली सुनिश्चित करना है.

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