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भारत ने आतंकवाद पर जवाबदेही को लेकर UN को दिखाया आईना

अकबरूद्दीन ने कहा कि प्रतिबंध समितियां जाहिर तौर पर समूचे संयुक्त राष्ट्र की ओर से काम करती हैं

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सैयद अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि
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सैयद अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि
(फोटो: Twitter/@IndiaUNNewYork)

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्रतिबंध समितियों की यह कहते हुए आलोचना की है कि उनमें जवाबदेही का अभाव है. इसके अलावा, ये आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को स्वीकार नहीं करने की वजह भी कभी नहीं बताया करती हैं.

भारत का इशारा पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर की तरफ था. भारत उसे ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में डालने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन चीन बार-बार अड़ंगा लगा रहा है.

बहुपक्षवाद को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर शुक्रवार को संयुक्त सुरक्षा परिषद की एक परिचर्चा में भारत के स्थायी दूत (संयुक्त राष्ट्र में) सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि परिषद ने कई अधीनस्थ संस्थान बना रखे हैं लेकिन इन संस्थानों का कामकाज काफी मुश्किल हो गया है.

उन्होंने कहा कि एक ऐसे युग में जब हम जागरूक लोग लोक संस्थाओं से पारदर्शिता की मांग बढ़ाते जा रहे हैं, प्रतिबंध समितियां अपनी स्पष्टता के मामले में सर्वाधिक खराब उदाहरण हैं और उनमें जवाबदेही का अभाव है.

अकबरुद्दीन ने कहा कि प्रतिबंध समितियां जाहिर तौर पर समूचे संयुक्त राष्ट्र की ओर से काम करती हैं. फिर भी वो हमें (आम सदस्यों को) जानकारी नहीं देती... हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया. लेकिन यह जगजाहिर है कि सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखने वाले चीन ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को सुरक्षा परिषद की अल-कायदा प्रतिबंध समिति के तहत आतंकवादी नामित कराने के भारत के कदम को बार-बार बाधित किया है. जबकि भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन हासिल था.

आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की संयुक्त राष्ट्र की लिस्ट में पहले से शामिल है. अकबरूद्दीन ने कहा कि यह साफ है कि सुरक्षा परिषद कार्य निष्पादन, विश्वसनीयता, औचित्य और प्रासंगिकता के संकट का सामना कर रहा है.

उन्होंने आरोप लगाया कि परिषद की सदस्यता वैश्विक शक्ति के वितरण के अनुरूप नहीं है और यह समकालिक वास्तविकता को समायोजित करने में अक्षम है. उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार करने की अपील करते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने पर हम एक शांतिपूर्ण विश्व नहीं होंगे, बल्कि हमारी विश्व व्यवस्था टुकड़ों में बंटी होगी.

(इनपुट: भाषा)

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