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भारत में 2019 से 2021 के बीच के तीन सालों में कुल 1.12 लाख दिहाड़ी मजदूरों की सुसाइड से मौत हुई है. लोकसभा में केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार, 13 फरवरी को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NBRC) की रिपोर्ट के हवाले से यह बात कही. केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि इन तीन सालों के दौरान 66,912 गृहणियों, 53,661 स्व-नियोजित व्यक्तियों, 43,420 वेतनभोगी व्यक्तियों और 43,385 बेरोजगारों की भी सुसाइड से मौत हुई है.
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में भूपेंद्र यादव ने सदन को जानकारी दी कि 35,950 स्टूडेंट और 31,839 ऐसे व्यक्ति जो खेती के क्षेत्र में लगे हुए हैं, जैसे कि किसान और खेतिहर मजदूर, की भी तीन साल - 2019, 2020 और 2021 में सुसाइड से मौत हुई है.
श्रम मंत्री ने कहा कि असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के अनुसार, सरकार के लिए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देना अनिवार्य है. इसमें दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके तहत जीवन और विकलांगता बीमा, स्वास्थ्य से जुड़ें मामलों पर उपयुक्त कल्याणकारी योजनाएं तैयार करके और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा, और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कोई अन्य लाभ देना शामिल है.
उन्होंने कहा:
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) के जरिए जीवन और विकलांगता बीमा मुहैया कराया जाता है.
PMJJBY 18 से 50 वर्ष की आयु के उन लोगों के लिए उपलब्ध है, जिनके पास बैंक या डाकघर में अकाउंट है, जो ऑटो डेबिट में शामिल होने के लिए अपनी सहमति देते हैं.
इस योजना के तहत किसी भी कारण से बीमित व्यक्ति की मृत्यु के मामले में 2 लाख रुपये का जोखिम कवरेज, 436 रुपये के वार्षिक प्रीमियम पर होता है, जिसे ग्राहक के खाते से अपने आप ऑटोमेटिक काटा जाता है.
31 दिसंबर, 2022 तक इस योजना से 14.82 करोड़ लाभार्थी जुड़े हैं.
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