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भारत को कुलभूषण जाधव के मामले में 16 जुलाई को दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस मिला. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय हाई कमीशन के 2 कॉन्सुलर अधिकारियों को बिना किसी रोकटोक के कॉन्सुलर एक्सेस दिया गया है.
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कुलभूषण जाधव को बिना शर्तों और रोकटोक के कॉन्सुलर एक्सेस नहीं दिया गया. मंत्रालय ने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारी 'धमकाने वाले अंदाज' में जाधव और कॉन्सुलर अधिकारियों के करीब खड़े थे और भारत के विरोध जताने के बावजूद खड़े रहे.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय कॉन्सुलर अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इस कॉन्सुलर एक्सेस का कोई मतलब नहीं था और वो विरोध जता कर वहां से चले गए. मंत्रालय ने कहा, "इस मामले में पाकिस्तान का रवैया प्रतिरोधी है. उसने ICJ को दिए आश्वासन का उल्लंघन किया."
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत ने जाधव के मामले में बिना किसी रोकटोक के कॉन्सुलर एक्सेस मांगा था. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि भारत ने ये भी मांग कि बातचीत की भाषा अंग्रेजी रखने पर जोर न दिया जाए.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय हाई कमीशन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में डायरेक्टर जनरल साउथ एशिया से भी इस मामले में मुलाकात की. भारत ने कुलभूषण जाधव से अकेले मिलने की इजाजत भी मांगी.
8 जुलाई को पाकिस्तान के एडिशनल अटॉर्नी जनरल ने बताया, "17 जून 2020 को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को याचिका दायर करने और सजा और दोषी होने पर पुनर्विचार करने के लिए बुलाया गया था. अपने लीगल अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने रिव्यू पिटीशन दायर करने और अपनी सजा और दोषी होने पर पुर्नविचार करने से मना कर दिया है."
पाकिस्तान ने 2 सितंबर 2019 को कुलभूषण जाधव को पहला कॉन्सुलर एक्सेस मुहैया कराया था. भारत सरकार ने इस फैसले पर कहा, "हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान इस मीटिंग के लिए स्वतंत्र, न्यायपूर्ण और सार्थक माहौल उपलब्ध कराएगा. सभी सुविधाएं आईसीजे के ऑर्डर के मुताबिक दी जाएंगी."
इससे पहले जुलाई 2019 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने बिना शर्त जाधव को काउंसलर एक्सेस देने का फैसला सुनाया था.
विएना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशन्स VCCR के आर्टिकल 36 (1) (बी) में कहा गया है कि अगर किसी देश (A) के नागरिक को किसी दूसरे देश (B) में गिरफ्तार किया जाता है, तो...
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