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भारत और इजरायल (India-Israel) इस साल 30 साल के पूर्ण राजनयिक संबंध का जश्न मना रहे हैं. भारत ने 17 सितंबर, 1950 को इजरायल को अपनी मान्यता देने की घोषणा की थी. इसके तुरंत बाद यहूदी एजेंसी ने तत्कालीन बॉम्बे में एक आव्रजन कार्यालय की स्थापना की. इसे बाद में व्यापार कार्यालय और वाणिज्य दूतावास में बदल दिया गया. सन् 1992 में नियमित दूतावास खोले गए, जब दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित हुए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह भारत और इजरायल के लिए नए द्विपक्षीय लक्ष्य निर्धारित करने का समय है, क्योंकि हम 30 साल के पूर्ण राजनयिक संबंधों का जश्न मना रहे हैं. तीस साल पहले इसी दिन भारत और इजराइल ने आधिकारिक तौर पर द्विपक्षीय संबंधों की एक नई यात्रा शुरू की, हालांकि दोनों के बीच संबंध राष्ट्र सदियों पुराने हैं. यहूदी समुदाय हमेशा भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग रहा है और सदियों से विकास की यात्रा में भागीदार रहा है.
14 जून, 2021 को मोदी ने इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट को पद संभालने पर बधाई दी थी. मोदी ने जुलाई 2017 में इजराइल की ऐतिहासिक यात्रा की थी, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इजराइल यात्रा थी. यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया.
इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जनवरी 2018 में भारत आए. दोनों यात्राओं के दौरान संयुक्त बयान जारी किए गए. भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अक्टूबर 2015 में इजराइल की राजकीय यात्रा की थी.
इजराइल के राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन ने नवंबर 2016 में भारत की राजकीय यात्रा की. इससे पहले, इजराइल के राष्ट्रपति एजर वीजमैन ने दिसंबर 1996 में भारत का दौरा किया था. पूर्व प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने भी सितंबर 2003 में भारत का दौरा किया था। उस दौरान भारत और इजराइल के बीच सहयोग पर हस्ताक्षर किए गए थे.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके इजरायली समकक्ष यायर लापिड ने भारत-इजरायल राजनयिक संबंधों की 30वीं वर्षगांठ पर संयुक्त रूप से एक ऑप-एड लिखा है.
इससे पहले, पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह (2000), एस.एम. कृष्णा (2012), और सुषमा स्वराज (2016) ने इजराइल का दौरा किया था.
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