advertisement
अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना के जाने के बाद सरकार और तालिबान के बदलते समीकरण और हिंसक होती स्थिति के बीच रूस ने सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ एक बैठक बुलाई है लेकिन मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भारत को इस में आमंत्रित नहीं किया गया है. दूसरी तरफ पाकिस्तान ,चीन और अमेरिका को रूस ने बैठक में शामिल होने के लिए न्योता भेजा है.
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते हमले के साथ ही रूस ने हिंसा को रोकने और अफगान शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए इस युद्धग्रस्त देश में सभी प्रमुख स्टेकहोल्डर तक पहुंचने की कवायद तेज कर दी है .
पिछले महीने रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने ताशकंद में कहा था कि "रूस भारत और वैसे अन्य देशों के साथ काम करना जारी रखेगा जो अफगानिस्तान की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं."
एक्सटेंडेड ट्रोइका’ की बैठक का न्योता नहीं दिए जाने से जुड़े सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, नई दिल्ली और मॉस्को के बीच अफगानिस्तान के मुद्दे पर नियमित रूप से बातचीत होती रहती है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस. तिरुमूर्ति ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान में स्थिति का जायजा लेने और उस पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 6 अगस्त को भारतीय अध्यक्षता में बैठक होगी.
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक आयोजित करने के निर्णय को सकारात्मक कदम बताया.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा,
बता दें कि भारत अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बनाया गया है.
अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व के एक बड़े स्टेकहोल्डर्स के रूप में भारत अपनी भूमिका निभाना चाहता है. पहले ही भारत ने इस क्षेत्र में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश सहायता और पुनर्निर्माण के रूप में किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)