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पाकिस्तान में सोमवार को भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाई गई. इस पर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि पाक नियम-कानून की अनदेखी कर रहा है, इसलिए यह ‘सुनियोजित हत्या' मानी जाएगी.
कुलभूषण जाधव की खबर आने के बाद भारत ने कहा कि वह पाकिस्तान के उन कैदियों को नहीं छोड़ेगा, जिन्हें वह बुधवार को पाक भेजने वाला था.
इसके अलावा सरबजीत की बहन ने भी कहा कि सरकार को पूरी कोशिश करनी चाहिए कि जाधव को फांसी न हो.
विदेश सचिव एस जयशंकर ने भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब कर बेहद कड़े शब्दों में विरोध दर्ज कराया है. इसमें कहा गया है कि जिस कार्यवाही के आधार पर जाधव को यह सजा दी गई है, वह ‘हास्यास्पद' है और उनके खिलाफ कोई ‘विश्वसनीय सबूत' नहीं हैं.
इसके अलावा भारतीय उच्चायोग को जाधव पर मुकदमा चलाने की सूचना तक नहीं दी गई. विदेश सचिव ने डिमार्शे में कहा:
जाधव को मौत की सजा देने के कुछ घंटे बाद भारत ने फैसला किया कि वह उन एक दर्जन पाकिस्तानी कैदियों को रिहा नहीं करेगा, जिन्हें बुधवार को उनके वतन भेजा जाना था. कैदियों को भारत और पाकिस्तान द्वारा जेलों में बंद एक दूसरे के नागरिकों को सजा पूरी होने के बाद उनके देशों में वापस भेजने की परंपरा के तहत रिहा किया जाना था.
सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने कहा है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से संपर्क करना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने पाकिस्तानी समकक्ष से चर्चा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कुलभूषण जाधव को फांसी ना दी जाए.
दलबीर के भाई सरबजीत सिंह की वर्ष 2013 में पाकिस्तान जेल में मौत हो गई थी.
(इनपुट भाषा से)
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