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देशभर में मंदी का असर इस साल भारतीय कंपनियों में काम करने वाले लोगों के अप्रेजल पर पड़ सकता है. साल 2020 में भारतीय कंपनियों का अपने कर्मचारियों की सैलरी में महज एवरेज 9.1 फीसदी बढ़ाने का अनुमान है. अगर ऐसा होता है, तो कर्मचारियों की सैलेरी में ये ग्रोथ रेट साल 2009 के बाद से सबसे कम होगा.
ये बात Aon के एनुअल सैलरी इंक्रीज सर्वे में सामने आई है. Aon का ये सर्वे 20 से ज्यादा इंडस्ट्रियों के 1000 से ज्यादा ऑर्गेनाइजेशन की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है.
2008-2009 में दुनियाभर के तमाम देश आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. इस दौरान सैलरी ग्रोथ रेट 2008 में 13.3 फीसदी से गिरकर 2009 में 6.6 फीसदी हो गया था. इसके बाद 2010 से 2016 तक सैलरी ग्रोथ रेट 10 फीसदी से नीचे नहीं गया. हालांकि, 2017 में ये रेट 9.3 फीसदी तक गिर गया. तब से यह 9.3 और 9.5 फीसदी के बीच है. लेकिन अब 2020 के लिए सैलरी ग्रोथ रेट का 9.1 फीसदी का अनुमान लगाया जा रहा है, जो कि एक दशक में सबसे कम है.
ऑटो इंडस्ट्री में पिछले कुछ महीनों से लगातार मंदी देखने को मिल रही है. इसलिए ऑटो इंडस्ट्री अनिश्चित रूप से सबसे कम अनुमानित सैलरी ग्रोथ रेट वाली इंडस्ट्री हो सकती है .
सर्वे में करीब 92 फीसदी कंपनियों ने 2020 में अपने बिजनेस के सुधार या स्थिर रहने की उम्मीद की है, जबकि 8 फीसदी कंपनियों को लगता है कि इस साल उनके बिजनेस में गिरावट होगी.
देश में आर्थिक मंदी के बावजूद सर्वे में शामिल पांच में से दो कंपनियां सैलेरी ग्रोथ रेट में दो अंकों में बढ़ोतरी का अनुमान लगा रही हैं. उदाहरण के लिए, ई-कॉमर्स और प्रोफेशनल सर्विस की कंपनियों ने इस साल एवरेज 10 फीसदी की सैलरी ग्रोथ का अनुमान जताया है.
एशिया पैसिफिक रीजन में 2020 में भारत का अनुमानित 9.1 फीसदी सैलरी ग्रोथ रेट सबसे ज्यादा है. इसके बाद चीन में 6.3 फीसदी पर है. हालांकि, भारत में सबसे ज्यादा सैलरी ग्रोथ रेट का एक कारण अन्य बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले ज्यादा मुद्रास्फीति दर है.
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