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पेट्रोल-डीजल अभी और महंगा हो सकता है. अमेरिका और भारत के बीच 2+2 की बातचीत के महज एक सप्ताह बाद ही भारत ने ईरान से सितंबर और अक्टूबर में तेल का आयात आधा घटाने का फैसला किया है. भारत के तेल आयात में दस से बारह फीसदी हिस्सेदारी ईरान की है.
भारत चाहता है कि ईरान पर नवंबर से लगने वाले प्रतिबंधों की चपेट में न आए. इस प्रतिबंध के तहत भारत का अमेरिकी वित्तीय संस्थाओं से कारोबार प्रभावित हो सकता है.
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक सितंबर और अक्टूबर में भारत की रिफाइनरियों की ओर से ईरान से मंगाए जाने वाले तेल की मात्रा दो करोड़ 40 लाख बैरल कम हो जाएगी. दरअसल अमेरिका 2015 में न्यूक्लियर समझौते से पीछे हटने के लिए सजा के तौर पर ईरान पर नए प्रतिबंध लाना चाहता है. इसके तहत ईरान के साथ सौदा करने वाले देशों को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
भारत इन प्रतिबंधों से बचने के लिए ही ईरान से तेल आयात में कटौती कर रहा है. अमेरिका ने इस साल 6 अगस्त से ईरान पर कुछ वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं, इससे ईरान के पेट्रोलियम सेक्टर को चोट पहुंच सकती है. ये प्रतिबंध 4 नवंबर से लागू होंगे.
पेट्रोलियम मंत्रालय ने घरेलू रिफाइनरियों को कहा है वे तेल आयात में कटौती के लिए तैयार रहे. नवंबर से तेल आयात पूरी तरह बंद भी हो सकता है. हालांकि तेल कारोबार से जुड़े कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कुछ रिफाइनरियों ने अपने कांट्रेक्ट का ज्यादातर तेल अपने पास स्टोर कर लिया है. इसलिए इसका ज्यादा असर नहीं भी पड़ सकता है.
पिछले सप्ताह भारत-अमेरिका 2+2 की बातचीत के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि अमेरिका भारत जैसे देश को प्रतिबंध से छूट दे सकता लेकिन पहले उसे ईरान से पूरी तरह कच्चे तेल का आयात रोकना होगा.डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की वजह भारत के लिए तेल आयात और महंगा हो गया है. साथ ही भारत ईरान से तेल मंगाना नहीं छोड़ना चाहता क्योंकि इस पर उसे छूट मिल रही है.
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