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ओडिशा, केरल, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक , महाराष्ट्र और दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में गुरुवार को सूर्यग्रहण दिखा. इसे दशक का आखिरी सूर्यग्रहण कहा जा रहा है. पृथ्वी और सूरज के बीच चंद्रमा के गुजरने की वजह से होने वाला सूर्य ग्रहण गुरुवार को सुबह 8 बज कर 17 मिनट पर शुरू हुआ और 10 बज कर 57 मिनट तक चला.
राजधानी दिल्ली में सूर्यग्रहण के 12 घंटे पहले बिड़ला मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए. मंदिर के दरवाजे गुरुवार को दोपहर बारह बजे फिर खुलेंगे. सूर्यग्रहण के दौरान वाराणसी समेत देश के कई शहरों में लाखों लोगों ने नदियों में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की. लोग ग्रहण वाले सूरज को देखने के लिए भी उत्साहित दिखे. सुबह-सुबह लोग बाहर निकल इसे देखने की कोशिश करते दिखे.
देश भर में करोड़ों लोगों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सूर्य ग्रहण के नजारे देखे. उन्होंने इसकी तस्वीरें भी ट्वीट कीं. पीएम ने लिखा, ''तमाम भारतीयों की तरह मैं भी सूर्य ग्रहण को लेकर उत्साहित था. लेकिन बादल की वजह से सूर्य को नहीं देख सका. लेकिन मैंने कोझिकोड और देश के दूसरे हिस्सों में इसे लाइव स्ट्रीम पर देखा. इस विषय पर एक्सपर्ट्स से बात करके अपने ज्ञान को भी बढ़ाया.
विशेषज्ञों के मुताबिक तीन तरह के सूर्यग्रहण होता है. आंशिक, वलयाकार और पूर्ण सूर्यग्रहण. सूर्यग्रहण के दौरान सूरज को सीधे नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. इससे आंखों को नुकसान हो सकता है.
सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है. सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आ जाने की खगोलीय स्थिति से जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता है, तो इस स्थिति को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है. वलयाकार सूर्यग्रहण तब लगता है जब चांद सामान्य की तुलना में धरती से दूर हो जाता है. इस कारण से उसका आकारा इतना नहीं दिखता कि वह पूरी तरह सूर्य को ढक ले. वलयाकार सूर्यग्रहण में चांद के बाहरी किनारे पर सूर्य रिंग यानी अंगूठी की तरह काफी चमकदार नजर आने लगता है.
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