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रूस-यूक्रेन जंग में हैदराबाद के युवक की मौत, "धोखे से बनाया गया था भाड़े का सैनिक"

मृतक असफान के भाई ने द क्विंट को बताया था, "मेरे भाई को रूस-यूक्रेन जंग में भाड़े के सैनिक के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया."

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>रूस-यूक्रेन जंग में एक और भारतीय युवक की मौत, भाई ने वापस लाने का किया था संकल्प</p></div>
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रूस-यूक्रेन जंग में एक और भारतीय युवक की मौत, भाई ने वापस लाने का किया था संकल्प

फोटो- अल्टर्ड बाय क्विंट हिंदी

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Indian Killed in Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन जंग में लड़ते हुए एक और भारतीय की मौत हो गयी है. रूस के मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास ने हैदराबाद के मोहम्मद अफसान की मौत की पुष्टि की है. हैदराबाद के नामपल्ली के रहने वाले मोहम्मद असफान को रूसी सेना ने दुनिया भर के एजेंटों और भर्तीकर्ताओं की मदद से एक फर्जी भर्ती स्कीम के तहत काम पर रखा था.

इससे पहले गुजरात के सूरत का हामिल मंगुकिया नाम का 23 साल का युवक 21 फरवरी को रूसी सेना के लिए लड़ते हुए मौत हो गई थी.

भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "हमें एक भारतीय नागरिक मोहम्मद अफसान की दुखद मृत्यु के बारे में पता चला है. हम परिवार और रूसी अधिकारियों के संपर्क में हैं. दूतावास उनके पार्थिव शरीर को भारत भेजने का प्रयास करेगा."

असफान की मौत से पहले उनके परिजनों से द क्विंट से बातचीत में कहा था कि उन्हें रूसी सेना में फर्जी भर्ती स्कीम के जरिए जंग में तैनात किया गया.

असफान के भाई मोहम्मद इमरान ने द क्विंट को बताया था, "मेरे भाई को रूस-यूक्रेन जंग लड़ने के लिए भाड़े के सैनिक के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया."

मोहम्मद इमरान ने कहा,

"असल में समस्या तब शुरू हुई जब उनसे कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया जो रूसी भाषा में लिखे गए थे. चूंकि असफान रूसी भाषा नहीं समझ सके, इसलिए उन्होंने गलती से संघर्षग्रस्त यूक्रेन में रूसी सेना के साथ काम करने के लिए एक सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए."

इमरान ने कहा था कि अगर उनके भाई को जल्द नहीं बचाया गया तो वह खुद रूस जाएंगे और उसे वापस ले आएंगे. इमरान ने कहा था, "मुझे वीजा मिल गया है और अगर मेरा भाई घर नहीं आया तो मैं अगले सप्ताह रूस के लिए उड़ान भरूंगा."

लेकिन अफसोस इमरान अपने भाई को वापस नहीं ला सके.

इमरान ने सवालिया लहजे में पूछा था कि आजाद यूसुफ और अन्य भारतीय नागरिकों को दूसरे देश के लिए क्यों लड़ना पड़ता है और अपनी कीमती जान क्यों गंवानी पड़ती है. उन्होंने कहा था, "हमारे युवा लड़के दूसरे देश के लिए अपनी जान क्यों गंवा रहे हैं? हमारे लड़कों को जल्द से जल्द वापस लाया जाना चाहिए और वे केवल अपने देश के लिए कुर्बानी दे सकते हैं."
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क्या थी मजबूरी, कितनी सैलरी मिल रही थी?

असफान के परिवार वाले बताते हैं कि वह पहले कपड़े की दुकान में काम करते थे. इस दौरान उन्हें कुछ एजेंटों ने रूस में हेल्पर की नौकरी देने झांसा दिया. इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में इमरान ने कहा है कि असफान को शुरुआती तीन महीने के लिए 45 हजार रुपये देने का वादा किया गया था.

इमरान ने कहा, "शुरुआती तीन महीनों के लिए 45,000 रुपये प्रति माह वेतन देने का वादा किया गया था. जो धीरे-धीरे बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो जाता. एक साल तक काम करने के बाद वह रूसी पासपोर्ट और नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते थे. यह एक आकर्षक प्रस्ताव था और दुर्भाग्य से वे इसके झांसे में आ गये. असफान 9 नवंबर को मॉस्को के लिए रवाना हुए थे."

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन जंग में करीब 13 भारतीय नागरिकों को फ्रंटलाइन पर लड़ने के लिए ले जाया गया है.

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