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आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विजयनगरम जिले में रविवार, 29 अक्टूबर को पलासा और रायगडा पैसेंजर ट्रेनों में टक्कर हो गई. इस हादसे में अब तक करीब 14 यात्रियों के मौत की खबर है और 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. यह हादसा विशाखापट्टनम से करीब 40 किलोमीटर दूर कंटकपल्ली में हुआ है. हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जान गंवाने वाले लोगों के परिवार और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है. लेकिन इससे इतर कानूनी तौर पर रेलवे प्रशासन भी यात्रियों के नुकसान की भरपाई करने के लिए बाध्य है.
ऐसे में आइए जानते हैं कि इस तरह के रेल हादसे होने के बाद यात्रियों को क्या मुआवजा मिलता है, ऐसे मामलों में रेलवे नियमोंं में क्या शर्ते रखी गई हैं?
रेलवे एक्ट, 1989 (Railway Act- 1989) में इसके बारे में बताया गया है कि हादसे के बाद में रेल प्रशासन का क्या दायित्व बनता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील मसजूद खान, क्विंट हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं कि रेलवे अधिनियम, 1989 के सेक्शन 124 के मुताबिक रेल हादसे में यात्रियों को लगी चोट, घायल और सामान के नुकसान की जिम्मादरी रेलवे प्रशासन की होती है. ट्रेनों के आपस में टकराने, पटरी से उतरने, ट्रेन में आग लगने या धमाका होने जैसी वजहों से हुए हादसों की स्थिति में रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन कानून तौर पर निर्धारित किया गया मुआवजा देने के लिए बाध्य है.
हादसे के बाद रेलवे के द्वारा दिया जाने वाला मुआवजा, Railway Accidents and Untoward Incidents (Compensation) Amendment Rules, 1990 (रेलवे दुर्घटनाएं और अप्रिय घटनाएं (मुआवजा) संशोधन नियम, 1990) के अंतर्गत बताए गए नियमों के मुताबिक दिया जाता है, जो इस तरह हैं...
पैसेंजर की मौत होने पर: आठ लाख रूपए
पैसेंजर के घायल होने पर: यात्री के घायल होने पर उसके चोट के आधार पर मुआवजा दिया जाता है. अगर मुसाफिर के हाथों या पैरों में फ्रैक्चर होगा, तो 64 हजार रूपए और अगर शरीर का कोई अंग कट जाता है, तो आठ लाख रूपए दिए जाने का प्रावधान है.
बता दें कि अधिनियम में किए गए संशोधन से पहले यह राशि 32 हजार और 4 लाख थी.
इसके अलावा रेलवे प्रशासन, हादसे के तुरंत बाद होने वाले खर्चों को पूरा करने के लिए अनुग्रह राहत भी देता है. हालांकि, मुआवजे के दावों के फाइनल सेटेलमेंट के वक्त इसको नहीं जोड़ा जाता है. यह राशि भी अलग-अलग स्थिति में अलग होती है.
साधारण चोट लगने पर 500 रूपए
गंभीर चोट लगने पर 15 हजार रूपए
रेल हादसे के दौरान मौत होने पर 50 हजार रूपए
जहां एक तरफ रेल हादसे में मुआवजा देने के लिए नियम और शर्तें हैं, वहीं दूसरी तरफ यह भी बताया गया है किस स्थिति में रेलवे की तरफ से मुआवजा नहीं मिलेगा.
खुदकुशी से मौत के मामले में
अगर पैसेंजर अपने चोट की वजह खुद होगा
दिमागी संतुलन बिगड़ा हो या नशे की वजह से यात्री के साथ हादसा होने पर
ट्रेन हादसा होने के बाद कोई बीमारी या प्राकृतिक वजहों से हुए नुकसान पर
भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) पोर्टल की ऑफिसियल वेबसाइट के जरिए रुपये के प्रीमियम पर ई-टिकट बुक करने वाले कन्फर्म/आरएसी यात्रियों के लिए 2016 में एक वैकल्पिक यात्रा बीमा योजना शुरू की थी. इस दौरान नियम बनाया गया कि टिकट बुक करते वक्त इंश्योरेंस का विकल्प सेलेक्ट करने पर एक यात्री को 0.92 रूपए भुगतान करना होगा. लेकिन साल 2021 में इसमें संशोधन किया गया है.
रेलवे इंश्योरेंस पॉलिसी का फायदा सिर्फ भारतीय नागरिक ही उठा सकते हैं. इसके अलावा पांच साल तक के बच्चों को इस पॉलिसी का फायदा नहीं मिलता है, अगर सीट/बर्थ उनके नाम से ना बुक की गई हो.
इंश्योरेंस पॉलिसी के निपटान की जिम्मेदारी दो कंपनियों- Liberty General Insurance Ltd. और SBI General Insurance Co. Ltd को दी गई है.
यह पॉलिसी कवरेज, रेल दुर्घटना या अप्रिय घटना के बाद मौत, विकलांगता, आंशिक विकलांगता और चोट के लिए अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में दी जाती है.
मौत होने या पूरी तरह से विकलांग होने पर 10 लाख रुपए
आंशिक रूप से विकलांग होने पर 7.5 लाख रुपए
घायल होने पर दो लाख रुपए
पार्थिव शरीर के परिवहन के लिए 10 हजार रुपए
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