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* (पीड़ितों की पहचान छिपाने के लिए उनके नाम बदले गए हैं.)
स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 15 मई को दो भारतीय स्टूडेंट्स को कथित तौर पर तीन स्थानीय लोगों द्वारा पीटा गया. उनमें से एक, 29 साल की *दिव्या जोसेफ ने कहा, "उन तीनों ने कोई दया नहीं दिखायी. उन्होंने हमें बिल्कुल भी नहीं बख्शा."
ग्लासगो यूनिवर्सिटी (Glasgow University) की स्टूडेंट दिव्या और उनकी फ्लैटमेट, स्ट्रैग्लाइड यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट *अपर्णा तलवार सोमवार रात 10:30 बजे डिनर करने के बाद घर जा रही थीं, जब बुकानन स्ट्रीट के पास तीन लोगों, कथित रूप से ग्लासगो के स्थानीय, ने उन पर हमला कर दिया.
दोनों ने दावा किया कि उन पर "बिना किसी उकसावे के" हमला किया गया. उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि उनपर "नस्लवादी और जीनोफोबिक" टिप्पणी भी की गई.
एक सवाल के जवाब में स्कॉटलैंड पुलिस के प्रवक्ता ने द क्विंट को बताया, "सोमवार, 15 मई, 2023 को रात करीब 10:55 बजे अधिकारियों को ग्लासगो की बुकानन स्ट्रीट में गड़बड़ी की सूचना मिली."
हालांकि, पुलिस ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि कोई गिरफ्तारी हुई है या नहीं, दिव्या ने द क्विंट को बताया कि पुलिस ने उन्हें बताया कि तीनों आरोपी - कथित तौर पर नाबालिग - को गिरफ्तार कर लिया गया है.
द क्विंट ने दोनों महिलाओं से 15 मई की घटना और, 'नस्लवाद और जीनोफोबिया' के बारे में बात की.
26 साल की अपर्णा ने फोन पर बताया, "मैं हमेशा सोने से पहले याद करती हूं कि उस रात क्या हुआ था. मैं उन्हें अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही हूं." दिव्या की तरह, अपर्णा भी सितंबर 2022 में ग्लासगो आ गई थीं.
दोनों महिलाओं ने द क्विंट को बताया कि उनपर "नस्लवादी और जीनोफोबिक" टिप्पणी भी की गई.
सोमवार की रात, अपर्णा और दिव्या ने दावा किया कि वो बुकानन स्ट्रीट से गुजर रही थीं और उन्होंने वहां किनारे खड़े कुछ स्थानीय लोगों पर गौर नहीं किया. इसके बाद उनमें से एक ने दोनों पर एक कूड़े का बैग फेंका.
दिव्या ने कहा, "मैंने हंसकर इसे नजरअंदाज कर दिया, क्योंकि मैंने उनके हाथ में वाइन की बोतल देखी, और समझ गई कि वो शायद नशे में हैं... लेकिन उन्होंने फिर एक और बैग उठाया और अपर्णा की तरफ फेंका."
तीनों आरोपियों के बर्ताव से हैरान दिव्या और अपर्णा ने दावा किया कि वो स्थिति को शांत करने के लिए वहां से चले गए.
दिव्या ने कहा, "हम ये सुनिश्चित करने के लिए पीछे मुड़े कि हम खतरे से बाहर हैं, जब तीनों ने हमें बिना किसी उकसावे के थप्पड़ मारा."
द क्विंट द्वारा एक्सेस की गई 30 सेकेंड की एक क्लिप में, दो महिलाएं दिव्या और अपर्णा पर हमला करती और दोनों को गालियां देती दिखायी दे रही हैं, साथ ही वो चिल्लाते हुए कह रही हैं कि "अपने देश वापस जाओ."
वीडियो में, दिव्या को दोनों महिलाओं से माफी मांगते हुए सुना जा सकता है. इसके बाद, दोनों भारतीय स्टूडेंट्स को घटनास्थल से जाते हुए देखा जा सकता है, जबकि दोनों आरोपी पीछे-पीछे जाती हैं.
द क्विंट के साथ एक फोन कॉल में, अपर्णा ने आरोप लगाया, "मैं उससे (बोतल से) बाल-बाल बच गई थी, नहीं तो मैं अभी आपसे बात नहीं कर रही होती... उन्होंने मुझे लात मारी, थप्पड़ मारा और मुझे इस हद तक मारा कि मेरा पूरा चेहरा सूजा हुआ था. उन्होंने मेरे पेट, छाती, शरीर पर लात मारी... उनसे जहां बन पाया, वहां मुझे मारा."
दिव्या ने कहा, "वो हमारा पीछा करते रहे, हमें गालियां देते रहे, हमारे पीछे दौड़ते रहे और हमें पीछे से मारते रहे और आधा मील (करीब 800 मीटर) तक हमारा पीछा करते रहे. रात 11 बजे, हम टैक्सी से घर पहुंचे, लेकिन कुछ बहुत बुरा हो सकता था."
भारतीय स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि एक केस नंबर के अलावा, स्थानीय पुलिस उनके बयानों की कॉपी या घटना के संबंध में कोई आधिकारिक दस्तावेज उपलब्ध कराने में असमर्थ थी.
इसके अलावा, तीनों आरोपियों के गिरफ्तार होने के बाद भी, दिव्या ने आरोप लगाया है कि उन तीनों की पहचान और हमले की वजह के बारे में जानकारी छिपायी गई.
सर्वाइवर्स ने द क्विंट को बताया कि पुलिस ने उन्हें सुनिश्चित किया कि CCTV फुटेज का इस्तेमाल कर वो आरोपियों को पहचान और पकड़ लेंगे.
इसके बाद, दिव्या ने दावा किया कि पुलिस ने "सप्लीमेंट्री बयान" लेने के लिए दोनों भारतीय स्टूडेंट्स से संपर्क किया और उन्हें बताया कि कि पकड़े गए तीनों आरोपी नाबालिग थे.
दिव्या ने हमले के बीच में ग्लासगो पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वो "इतनी डरी हुई थीं" कि वो अपनी सटीक लोकेशन नहीं देख पाईं. घर पहुंचने के बाद ही उन्होंने अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने उनसे मुलाकात की और उनके बयान दर्ज किए और उन्हें अस्पताल ले गए.
दिव्या ने बताया, "जब हम इमरजेंसी रूम में बैठे थे, डॉक्टर्स ने प्रीलिमिनरी चेकअप किया, और 3:30 बजे हमें बताया कि पूरा चेकअप करने में कम से कम पांच घंटे लगेंगे. हमने घर वापस जाने का तय किया, क्योंकि मेरा अगले दिन एग्जाम था और डॉक्टर्स ने कहा था कि इंतजार पांच घंटे से भी ज्यादा हो सकता है."
उन्होंने कहा कि दोनों ने घटना के दो दिन बाद, ग्लासगो अस्पताल में करीब 10 घंटे बिताए और "एक्स-रे, ब्लड टेस्ट और यूरीन टेस्ट लेकर ये सुनिश्चित किया की कोई आंतरिक चोट तो नहीं थी."
उन्हें कुछ घंटे अस्पताल में भर्ती भी रहना पड़ा. दिव्या ने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण अपर्णा के दिमाग का सीटी स्कैन नहीं किया जा सका.
दिव्या ने कहा, "मैंने घटना की रात अपने परिवार को फोन किया और दिल खोलकर रोयी. मैं कांप रही थी. अब मुझे डर है कि क्या हर गोरा व्यक्ति हम पर हमला करेगा."
इस बीच, अपर्णा ने अभी तक अपने परिवार को घटना की जानकारी नहीं दी है. रुआंसी हो कर अपर्णा ने द क्विंट से कहा, "मैं इसमें अपने परिवार को शामिल नहीं करना चाहती. दिव्या यहां है, कोई बात नहीं है."
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