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बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस यानी चमकी बुखार ने सबको झकझोर कर रख दिया है. मुजफ्फरपुर में 132 बच्चों की मौत के बाद नेताओं ने दौरे किए और हालत बदलने के लिए बढचढ़ कर बयान दिए. लेकिन अस्पतालों के बाहर जाकर नेता सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रहे थे, हम आपको इसका सबूत देते हैं.
शिशु मृत्यु दर यानी इंफेंट मॉर्टेलिटी रेट (IMR) में भारत की हालत अभी भी अपने पड़ोसी देशों से काफी खराब है. इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान और म्यांमार को छोड़कर बाकी सभी पड़ोसी देशों में भारत के मुकाबले शिशु मृत्यु दर काफी कम है. शिशु मृत्यु दर प्रति हजार बच्चों से निकाली जाती है. यानी एक हजार जन्मे बच्चों में से कितने बच्चों की मौत हुई, इस पर आईएमआर तैयार होती है.
शिशु मृत्यु दर में भारत के कुछ राज्य सबसे आगे हैं. उनमें सबसे पहला नंबर आता है मध्य प्रदेश का. इस राज्य में शिशु मृत्यु दर यानी IMR 47 है. वहीं दूसरे नंबर पर नॉर्थ-ईस्ट का राज्य असम है. जहां IMR 44 है. तीसरे नंबर पर अरुणाचल प्रदेश है. यहां प्रति हजार बच्चों में से 42 की मौत हो जाती है. मध्य प्रदेश का आईएमआर चौंकाने वाला इसलिए है, क्योंकि यह अफ्रीका के देश नीगर के बराबर है. जहां का 80 प्रतिशत हिस्सा सहारा रेगिस्तान का है और इसे यूएन ह्यूमन डेवलेपमेंट इंडेक्स में आखिरी नंबर दिया गया है. भारत के ग्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर 37, जबकि शहरों में 23 है.
हाल ही में जारी ग्लोबल चाइल्डहुट रिपोर्ट में बताया गया है कि शिशु मृत्यु दर में दुनियाभर में भारत की रैंकिंग बेहद खराब है. कुल 176 देशों में भारत का नंबर 113वें पायदान पर आता है. हलांकि पिछले कुछ सालों में भारत की शिशु मृत्यु दर कम जरूर हुई है. 11 सालों में भारत की शिशु मृत्यु दर 42 प्रतिशत कम हुई है. जहां साल 2006 के मुकाबले शिशु मृत्यु दर 57 से घटकर अब 33 हो चुकी है. लेकिन भारत अभी भी ग्लोबल एवरेज से काफी नीचे है.
सवाल ये उठता है कि आखिर न्यू इंडिया भी बच्चों को बचाने में कामयाब क्यों नहीं हो रहा? इसके पीछे भी कई कारण हैं.
अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं पर न तो संसद में लंबी बहस हो पाती है और न ही सरकारें कुछ बोलने को तैयार होती हैं. सराकरों की उदासीनता देखकर तो यही लगता है कि ऐसा ही चलता आया है और ऐसा ही चलता रहेगा. फिर किसी मुजफ्फरपुर और गोरखपुर में बच्चों की किलकारियां शांत हो जाएंगी, फिर कार्रवाई की बात होगी और फिर अफसोस जताया जाएगा.
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