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वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगे. संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा और 13 फरवरी तक चलेगा.
इसी साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव हैं इसलिए ऐसी परंपरा है कि चुनावी साल में कोई सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं करती. नई सरकार ही संभवत: जुलाई में 2019-20 के लिए पूर्ण बजट पेश करेगी.
31 जनवरी से 13 फरवरी का बजट सत्र मौजूदा लोकसभा का अंतिम सत्र होगा.
आमतौर पर अंतरिम बजट में सरकार डायरेक्ट टैक्स में कोई छूट नहीं दे सकती है और न ही इसमें कोई बदलाव कर सकती हैं. हालांकि जानकारों का मानना है कि अंतरिम बजट में सरकार चाहे, तो ऐसा कर सकती है. सरकार इंपोर्ट, एक्साइज या सर्विस टैक्स में थोड़ी छूट दे सकती हैं.
इसके अलावा सरकार कस्टम ड्यूटी में भी बदलाव, सैलरीड क्लास को टैक्स में राहत, पेंशनर्स को टैक्स में फायदा, बचत सीमा में बढ़ोतरी, तमाम तरह के लोन पर ब्याज पर राहत जैसे विकल्प पर विचार कर सकती है.
जब किसी सरकार का कार्यकाल खत्म होने वाला होता है, तो वो सरकार पूर्ण बजट नहीं बल्कि अंतरिम बजट पेश करती है. फिर चुनाव के बाद नई सरकार उसी साल पूर्ण बजट पेश करती है. ऐसा इसलिए होता है ताकि कोई भी सरकार चुनाव से पहले बजट के जरिए कोई राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश न करें. अंतरिम बजट सीमित खर्चे और सीमित समय के लिए होता है. इसमें सरकार को जरूरी सरकारी खर्च ही पेश करने की अनुमति होती है.
इससे पहले साल 2014 में चुनाव से पहले तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यूपीए सरकार का अंतरिम बजट पेश किया था. फिर चुनाव के बाद उसी साल जुलाई में एनडीए सरकार बनने के बाद नए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूर्ण बजट पेश किया था.
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