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"योग के विस्तार का अर्थ है- वसुधैव कुटुंबकम् की भावना का विस्तार"- योग दिवस पर PM मोदी का संदेश

"हमारे ऋषियों ने योग को परिभाषित करते हुये कहा है- युज्यते एतद् इति योग:. अर्थात् जो जोड़ता है वही योग है"- PM मोदी

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<div class="paragraphs"><p>"योग के विस्तार का अर्थ है- वसुधैव कुटुंबकम् की भावना का विस्तार"- योग दिवस पर PM मोदी का संदेश </p></div>
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"योग के विस्तार का अर्थ है- वसुधैव कुटुंबकम् की भावना का विस्तार"- योग दिवस पर PM मोदी का संदेश

(फोटोः पीएम मोदी ट्विटर)

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भारत के साथ-साथ आज पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी यात्रा पर हैं, इसलिए वे भारतीय समय के अनुसार, बुधवार शाम को साढ़े पांच बजे के आसपास संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में योग कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका से जारी अपने वीडियो संदेश में सभी देशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं दी.

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका से जारी अपने वीडियो संदेश में सभी देशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि 2014 में जब संयुक्त राष्ट्र आम सभा में योग दिवस का प्रस्ताव आया, तो रिकॉर्ड देशों ने इसे समर्थन दिया था. तब से लेकर आज तक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जरिए योग एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, वैश्विक भावना बन गया है. भारत के आह्वान पर दुनिया के 180 से ज्यादा देशों का एक साथ आना, ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है.

आज के दिन अपने अमेरिका में होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर वर्ष योग दिवस के अवसर पर वे किसी न किसी आयोजन में भारत में ही उपस्थित रहते हैं और योग करते हैं, लेकिन इस बार विभिन्न दायित्वों की वजह से वे अभी अमेरिका में हैं, इसलिए सभी से वीडियो संदेश के माध्यम से जुड़ रहे हैं.

उन्होंने यह जानकारी भी दी कि वे भारतीय समय के अनुसार, आज शाम साढ़े पांच बजे के आसपास संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में योग कार्यक्रम में शामिल होंगे.

उन्होंने कहा कि इस साल योग दिवस के कार्यक्रमों को 'ओशियन रिंग ऑफ योगा' ने और विशेष बना दिया है. यह आइडिया योग के विचार और समुद्र के विस्तार के पारस्परिक संबंध पर आधारित है. सेना के जवानों ने भी हमारे जलस्रोतों के साथ एक योग भारतमाला और योग सागरमाला बनाई है.

इसी तरह, आर्कटिक से लेकर अंटार्कटिका तक भारत के दो रिसर्च बेस यानि पृथ्वी के दो ध्रुव भी योग से जुड़ रहे हैं. योग के इस अनूठे सेलिब्रेशन में देश-दुनिया के करोड़ों लोगों का इतने सहज स्वरूप में शामिल होना, योग के प्रसार और प्रसिद्धि को उसके महात्म्य को उजागर करता है. प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि....

"हमारे ऋषियों ने योग को परिभाषित करते हुये कहा है- युज्यते एतद् इति योग:. अर्थात् जो जोड़ता है वही योग है. इसलिए, योग का ये प्रसार उस विचार का विस्तार है, जो पूरे संसार को एक परिवार के रूप में समाहित करता है. योग के विस्तार का अर्थ है- वसुधैव कुटुंबकम् की भावना का विस्तार. इसलिए, इस वर्ष भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 समिट का थीम भी वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर रखा गया है और आज, पूरी दुनिया में करोड़ों लोग योगा फॉर वसुधैव कुटुंबकम् की थीम पर एक साथ योग कर रहे हैं."

पीएम मोदी ने आगे कहा कि "हमारे योग, इसके संबंध में ग्रन्थों में कहा गया है- व्यायामात् लभते स्वास्थ्यम्, दीर्घ आयुष्यम् बलम् सुखम्. अर्थात्, योग से, व्यायाम से हमें स्वास्थ्य, आयुष और बल मिलता है. हममें से कितने ही लोग, जो बीते वर्षों में योग से नियमित जुड़े हैं, उन्होंने योग की ऊर्जा को महसूस किया है.

उन्होंने कहा कि...

"व्यक्तिगत स्तर पर हमारे लिए बेहतर स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण होता है, ये हम सब जानते हैं. हमने ये भी देखा है कि जब हम स्वास्थ्य संकटों से सुरक्षित होते हैं, तो हमारा परिवार कितनी ही परेशानियों से बच जाता है. योग एक ऐसे स्वस्थ और सामथ्र्यशाली समाज का निर्माण करता है, जिसकी सामूहिक ऊर्जा कई गुना ज्यादा होती है."

पीएम ने कहा कि "बीते वर्षों में, स्वच्छ भारत जैसे संकल्पों से लेकर स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों तक, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से लेकर सांस्कृतिक भारत के पुनर्निर्माण तक, देश और देश के युवाओं में जो असाधारण गति दिखी है, उसमें इस ऊर्जा का बहुत बड़ा योगदान है. आज देश का मन बदला है, इसीलिए जन और जीवन बदला है."

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प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति और सामाजिक सरंचना का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति हो या समाज संरचना हो, भारत का आध्यात्म हो, या आदर्श, भारत का दर्शन हो या दृष्टि हो, हमने हमेशा जोड़ने, अपनाने और अंगीकार करने वाली परम्पराओं को पोषित किया है.

हमने नए विचारों का स्वागत किया है, उन्हें संरक्षण दिया है. हमने विविधताओं को समृद्ध किया है, उन्हें सेलिब्रेट किया है. ऐसी हर भावना को योग प्रबल से प्रबलतम करता है.

"योग हमारी अन्त: दृष्टि को विस्तार देता है. योग हमें उस चेतना से जोड़ता है, जो हमें जीव मात्र की एकता का अहसास कराती है, जो हमें प्राणी मात्र से प्रेम का आधार देती है. इसलिए, हमें योग के जरिए हमारे अंतर्विरोधों को खत्म करना है."

हमें योग के जरिए हमारे गतिरोधों और प्रतिरोधों को खत्म करना है. हमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को विश्व के सामने एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करना है. योग के लिए कहा गया है- योग: कर्मसु कौशलम्. यानी, कर्म में कुशलता ही योग है. आजादी के अमृतकाल में यह मंत्र हम सभी के लिए बहुत अहम है. जब हम अपने कर्तव्यों के लिए समर्पित हो जाते हैं, तो हम योग की सिद्धि तक पहुंच जाते हैं.

योग के जरिए हम निष्काम कर्म को जानते हैं, हम कर्म से कर्मयोग तक की यात्रा तय करते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है, योग से हम अपने स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएंगे, और इन संकल्पों को भी आत्मसात् करेंगे. हमारा शारीरिक सामथ्र्य, हमारा मानसिक विस्तार, हमारी चेतना शक्ति, हमारी सामूहिक ऊर्जा विकसित भारत का आधार बनेगी.

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