Home News India ISRAEL: हड़ताल, हिंसक झड़प-आगजनी, नेतन्याहू के न्यायिक सुधार बिल में क्या है?
ISRAEL: हड़ताल, हिंसक झड़प-आगजनी, नेतन्याहू के न्यायिक सुधार बिल में क्या है?
Israel judicial reform bill: इजराइल के न्यायिक सुधार बिल में ऐसा क्या है कि लोग 3 महीनें से सड़कों पर हैं?
फैजान अहमद
भारत
Published:
i
क्या है न्यायिक सुधार बिल- जिसे लेकर बीते 3 महीनों से इजराइल में हो रहे प्रदर्शन
(फोटो - पीटीआई)
✕
advertisement
लोकतंत्र में न्यायपालिका कितनी स्वतंत्र रहनी चाहिए, इस मुद्दे पर पिछले तीन महीनों से इजराइल (Israel) में बड़े पैमाने पर लोगों के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. तेल अवीव, यरुशलम और सौ से ज्यादा अन्य शहरों में हर हफ्ते लाखों इजराइली नेतन्याहू सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. क्यों हो रहे हैं यह विरोध प्रदर्शन? क्या है यह जुडिशियल रिफार्म (Judicial Reform) आईए आपको विस्तार से समझाते हैं.
न्यायिक सुधार का मुद्दा न केवल राजनीतिक वर्ग बल्कि समाज के व्यापक वर्गों से भी संबंधित है. स्वतंत्र महिला संगठनों, शिक्षाविदों और विश्वविद्यालयों, वकीलों, डॉक्टरों, उद्योगपतियों और उद्यमियों, तकनीकी कंपनियों, खुफिया और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों, सैनिकों और इजराइली सेना के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने इस बहस में हिस्सा लिया है कि क्या इजरायल के लोकतंत्र को कानूनी ज्यादतियों या न्यायिक प्रणाली में राजनीतिक घुसपैठ से खतरा है.
(फोटो - पीटीआई)
यहां से शुरू हुआ विवाद: इजराइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले साल दिसंबर में स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाई और नए प्रशासन के पहले महीने में, उप प्रधानमंत्री और न्याय मंत्री यारिव लेविन ने संसद में न्यायिक सुधार विधेयक पेश किया.
(फोटो - पीटीआई)
विधेयक में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति को संतुलित करने का प्रस्ताव था ताकि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार अदालतों से कमजोर न हो. लोगों की इच्छा निर्वाचित विधायिका के माध्यम से व्यक्त की जाएगी और अदालतें विधायिका द्वारा पारित कानूनों को रद्द करके कानून बनाने में हस्तक्षेप नहीं करेंगी.
(फोटो - पीटीआई)
रिफॉर्म का सबसे विवादास्पद तत्व न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली चयन समिति को खत्म कर देना है. मौजूदा प्रणाली में नौ सदस्यीय समिति है जो न्यायाधीशों, मंत्रियों और बार एसोसिएशन के सदस्यों से बनी है. नेतन्याहू की कानूनी टीम ने एक नई समिति का प्रस्ताव रखा, जो न्यायाधीशों के चयन में सरकार को ज्यादा अधिकार देगी. रिफॉर्म का मुख्य जोर यह है कि न्यायाधीश, न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करेंगे.
(फोटो - पीटीआई)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
प्रस्तावित विधेयक के राजनीतिक और साथ ही कानूनी प्रतिरोध को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने एक सैन्य रणनीति को चुना जिसमें डिबेट, बहस या चर्चा के लिए कोई जगह नहीं थी और इसे विधायिका में जबरदस्त गति से पास कर दिया.
(फोटो - पीटीआई)
यहां से तेज हुए प्रदर्शन: न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित प्रमुख विधेयक 27 मार्च को पारित होना था. नेतन्याहू ने तीन महीने से ज्यादा समय तक विरोध का सामना किया, जबकि इजरायल सिक्योरिटी और इंडस्ट्री में उनके पारंपरिक सहयोगियों और यहां तक कि अमेरिका में कट्टर समर्थकों ने विपक्ष के साथ बातचीत के लिए कहा. टिपिंग पॉइंट तब था जब उन्होंने अपने रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को निकाल दिया, जिन्होंने एक राष्ट्रीय संबोधन में न्यायिक विधेयक को तत्काल रोकने का आह्वान किया था.
(फोटो - पीटीआई)
कई लोगों ने नेतन्याहू को राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले के रूप में देखा और गैलेंट एक नेशनल हीरो के रूप में उभरे. इसके बाद पूर्व रक्षा मंत्री के समर्थन में विरोध प्रदर्शन होने लगे और राष्ट्रीय श्रमिक संघ (हिस्ताद्रुत) द्वारा एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू हुई, जिसने घंटों के भीतर इजराइल के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बंद कर दिया.
(फोटो - पीटीआई)
अब आगे क्या? आखिरकार नेतन्याहू को इस गर्मी तक इस सुधार विधेयक को स्थगित करना पड़ा है. माना जा रहा है कि तब तक विवादित विधेयक पर संवाद और बहस होनी चाहिए. विपक्षी दल बात करने के लिए सहमत हो गए हैं, जबकि विरोध करने वाले समूह साप्ताहिक सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे क्योंकि बिल को रद्द नहीं किया गया है, केवल कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया है.