Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019लैंडर से संपर्क टूटा, लेकिन अगले 14 दिन तक कोशिश जारी: ISRO चीफ

लैंडर से संपर्क टूटा, लेकिन अगले 14 दिन तक कोशिश जारी: ISRO चीफ

के. सिवन ने डी न्यूज के साथ खास बातचीत में कहा, मिशन का आखिरी फेज सही तरीके से काम नहीं कर पाया.

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
लैंडर से संपर्क टूटा, लेकिन अगले 14 दिन तक कोशिश जारी: ISRO चीफ
i
लैंडर से संपर्क टूटा, लेकिन अगले 14 दिन तक कोशिश जारी: ISRO चीफ
(फोटो: PTI)

advertisement

इसरो चीफ के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 के चांद पर लैंडिंग से पहले संपर्क टूटने के बाद अब तक दोबारा संपर्क नहीं किया जा सका है. डीडी न्यूज के इंटरव्यू में सिवन ने कहा, "मिशन का आखिरी फेज सही तरीके से काम नहीं कर पाया. उस फेज में हमने लैंडर के साथ संपर्क खो दिया और फिर दोबारा संपर्क नहीं कर पाए."

अभी लैंडर से संपर्क खो दिया गया है. लेकिन अगले 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क दोबारा बनाए जाने की कोशिश जारी रहेगी.
के. सिवन, चीफ, इसरो 

पीएम मोदी प्रेरणा स्त्रोत हैं: इसरो चीफ

इस इंटरव्यू में सिवन ने पीएम मोदी की भी जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा,

प्रधानमंत्री हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. उन्होंने हमारा समर्थन किया. उनके भाषण से हमें प्रेरणा मिली.

इसरो चीफ ने बताया कि उन्हें पीएम के संबोधन की एक लाइन बेहद खास लगी- “विज्ञान में कभी असफलता नहीं होती. इसमें केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं.”

7 सितंबर की तड़के मिशन के चांद पर उतरने की प्रक्रिया के दौरान पीएम मोदी बेंगलुरु के इसरो सेंटर पर मौजूद थे. मिशन से अचानक संपर्क टूटने के बाद वहां मौजूद लोगों और वैज्ञानिक मायूस हो गए. ये देखकर उन लोगों को हौसला बढ़ाते हुए मोदी ने कहा था, विज्ञान में विफलता नहीं होती, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं. हर प्रयोग, हर प्रयास ज्ञान के नए बीज बोकर जाता है.

मोदी ने ये भी कहा, परिणाम अपनी जगह हैं, लेकिन मुझे और पूरे देश को अपने वैज्ञानिकों, इंजीनियरों के प्रयासों पर गर्व है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

चांद से महज 2.1 KM दूर था लैंडर

चंद्रयान-2 के लैंडर के लिए आखिरी के 15 मिनट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण थे. ‘रफ ब्रेकिंग फेज’ और ‘फाइन ब्रेकिंग फेज’ के जरिए इसकी स्पीड कम की जानी थी, ताकि यह आसानी से सॉफ्ट लैंडिंग कर सके.

ISRO की स्क्रीन्स पर दिख रहे डेटा के मुताबिक, 'रफ ब्रेकिंग फेज' सफल रहा. मगर जब 'विक्रम' चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था, इसका संपर्क इसरो से टूट गया. बस यहीं से इसरो के लिए तनाव भरे पल शुरू हो गए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 07 Sep 2019,09:23 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT