advertisement
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने नैविगेशन सैटेलाइट 'आईआरएनएसएस -1 आई' को गुरुवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह भारत के नैविगेशन सैटेलाइट की श्रेणी का आठवां सैटेलाइट है. इसरो के अधिकारियों ने बताया कि आईआरएनएसएस -1 आई को लेकर पीएसएलवी - सी 41 यान ने सुबह चार बजकर चार मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी. यह सामान्य लॉन्च था, जो पूरी तरह से कामयाब रहा.
यहां देखें सैटेलाइट लॉन्च का वीडियो -
पीएसएलवी ने उड़ान भरने के 19 मिनट बाद सैटेलाइट को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया. यह पीएसएलवी के 43 प्रक्षेपणों में से 41वां सफल प्रक्षेपण था. अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किये गये 1,425 किलोग्राम वजनी इस सैटेलाइट का निर्माण इसरो के सहयोग से बेंगलुरू की निजी कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीस ने किया है. निजी कंपनी की ओर से बनाया गया दूसरा सैटेलाइट है.
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने मिशन को सफल बताया और वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आईआरएनएसएस -1 आई निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हुआ है. सिवन ने कहा-
इस नैविगेशन सैटेलाइट के आईआरएनएसएस -1 ए की जगह लेने की संभावना है, जो उन सात नैविगेशन सैटेलाइट्स में से एक है जो तकनीकी खामी के बाद डीएक्टिव हो गया था. ये सातों नैविगेशन सैटेलाइट्स के ग्रुप का हिस्सा हैं. सैटेलाइट बदलने के लिए यह लॉन्च इसरो की दूसरी कोशिश थी. इससे पहले पिछले साल अगस्त में आईआरएनएसएस -1 एच को अंतरिक्ष में भेजने का मिशन नाकामयाब हो गया था. क्योंकि लॉन्च के बाद सैटेलाइट को कवर करने वाली हीट शील्ड अलग नहीं हो पायी थी.
बता दें कि जीसैट-6 ए को अंतरिक्ष में भेजने के दो हफ्ते बाद इसरो ने नैविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया है. हालांकि रॉकेट ने जीसैट-6 ए को कक्षा में स्थापित कर दिया था. लेकिन दो दिन के अंदर ही इसरो का सैटेलाइट से संपर्क टूट गया था.
ये भी पढ़ें - ISRO ने की GSLV-6A से संपर्क टूटने की पुष्टि
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)