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Jaipur Mumbai Train Firing Case: "मैंने ट्रेन की कोच में यात्रियों को अपनी खिड़कियां बंद करने और नीचे रहने के लिए चिल्लाया. मैंने देखा कि चेतन ट्रेन पर राइफल ताने खड़ा था और समय-समय पर फायरिंग कर रहा था." यह दावा रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के कांस्टेबल घनश्याम आचार्य ने अपने सहयोगी चेतन सिंह के बारे में किया है. चेतन ने सोमवार, 31 जुलाई को जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस (12956) में चार लोगों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी.
33 वर्षीय RPF जवान चेतन सिंह ने कथित तौर पर अपने ऑटोमैटिक सर्विस राइफल से 12 राउंड गोलियां चलाईं.
चार मृतकों में से तीन सिविलियन यात्री थे - जिनकी पहचान कोच B5 में अब्दुल कादिर, कोच S6 में असगर काई और पेंट्री में एक अज्ञात व्यक्ति के रूप में हुई. जबकि चौथे मृतक आरोपी के सीनियर 58 वर्षीय ASI टीकाराम मीना थे. मुंबई रेलवे पुलिस ने इसकी पुष्टि है.
हालांकि, गवर्मेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) के कमिश्नर रवींद्र शिस्वे ने कहा कि इस वीडियो की जांच की जा रही है.
सोमवार, 31 अगस्त की शाम को मुंबई के बोरीवली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. द क्विंट ने एफआईआर की कॉपी हासिल की है, जिसे आरपीएफ कांस्टेबल आचार्य के बयान के आधार पर दायर की गयी है.
26 वर्षीय आचार्य 2020 से आरपीएफ में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत हैं. वे अभी मुंबई के लोअर परेल में रहते हैं और मूल रूप से मध्य प्रदेश के रतलाम के रहने वाले हैं.
कांस्टेबल घनश्याम आचार्य के अनुसार उनकी टीम में एएसआई टीकाराम मीना, पीओ हवा नरेंद्र परमार, और पीओ चेतन सिंह शामिल थे. हमेशा की तरह वे 30 जुलाई को रात 9.05 बजे मुंबई सेंट्रल से सौराष्ट्र मेल में चढ़े थे.
कांस्टेबल आचार्य ने FIR में दावा किया, "30 जुलाई की रात हम हमेशा की तरह रात 9.05 बजे मुंबई सेंट्रल से सौराष्ट्र मेल में चढ़े. ट्रेन रात के 1.11 बजे सूरत पहुंची."
FIR में आचार्य ने कहा कि चेतन और उनके पास 20 राउंड वाली एक ARM राइफल थी, जबकि एएसआई मीना के पास 10 राउंड वाली एक पिस्तौल थी.
FIR के अनुसार सुबह 2.53 बजे, टीम जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में चढ़ी. एएसआई मीना और चेतन की AC कोच में ड्यूटी थी जबकि कांस्टेबल परमार और आचार्य स्लीपर कोच में तैनात थे.
आधे घंटे बाद, जब आचार्य B2 एसी कोच में एएसआई मीना को अपनी रिपोर्ट सौंपने आए, तो मीना ने कथित तौर पर आचार्य से कहा कि चेतन की तबीयत बिगड़ रही है.
आचार्य ने FIR में कहा, "मैंने यह जांचने के लिए उनके सिर को छुआ कि क्या उसे बुखार है, लेकिन मैं यह नहीं बता सका कि उसे बुखार था या नहीं."
जब चेतन ने इसे मानने से इनकार कर दिया, तो एएसआई मीना ने इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र के साथ-साथ मुंबई सेंट्रल कंट्रोल रूम से संपर्क किया. एफआईआर के अनुसार, उन्होंने भी चेतन को अपनी ड्यूटी के बाकी बचे समय तक इंतजार करने और मुंबई में मेडिकल ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी.
कथित तौर पर चेतन इसपर भी नहीं माना और उसने जोर देकर कहा कि वह कंट्रोल रूम से बात करें.
आचार्य ने दावा किया, "इसपर, एएसआई मीना ने सहायक सुरक्षा आयुक्त (एएससी) सुजीत कुमार पांडे से बात की, जिन्होंने भी उन्हें इंतजार करने के लिए कहा. लेकिन वह (चेतन) किसी की बात नहीं सुन रहा था."
इस बीच, एएसआई मीना ने आचार्य से कहा कि वो चेतन के लिए कुछ कोल्ड ड्रिंक ले आए.
इसके बाद एएसआई मीना ने आचार्य से आरोपी चेतन की राइफल लेने को कहा और उसे आराम करने के लिए कहा.
आचार्य ने FIR में आरोप लगाया है, "मैं उसे B4 बोगी में ले गया. मैंने उसे वहां एक खाली सीट पर सुलाया. मैंने उसकी राइफल ली और बगल की सीट पर बैठ गया. लेकिन चेतन को ज्यादा देर तक नींद नहीं आई. वह 15 मिनट बाद उठा और अपनी राइफल की ओर इशारा करके मांगने लगा.''
आचार्य ने FIR में कहा, "उसके जाने के तुरंत बाद, मुझे एहसास हुआ कि उसने गलती से मेरी राइफल ले ली है. मैंने एएससी पांडे और एएसआई मीना को सूचित किया, जिसके बाद चेतन ने मेरी राइफल वापस कर दी और अपनी राइफल वापस ले ली."
कांस्टेबल आचार्य ने कथित तौर पर चेतन को अपनी राइफल की सेफ्टी हटाते हुए देखा और एएसआई मीना को इसकी सूचना दी.
आचार्य ने FIR में दावा किया, "इसलिए उन्होंने चेतन से संपर्क किया और उसे प्यार से शांत रहने के लिए मनाया. इसके बाद, मैं पेंट्री कार D के लिए निकल गया. तब 31 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे थे."
सुबह 5.25 बजे आचार्य को आरपीएफ बैच के कांस्टेबल कुलदीप राठौड़ का फोन आया कि एएसआई मीना को गोली मार दी गई है. जैसे ही वह B5 कोच की ओर बढ़ा, सामने से भाग रहे कुछ यात्रियों ने कथित तौर पर उसे बताया कि चेतन ने एएसआई मीना पर गोली चलाई है.
दस मिनट बाद, ट्रेन मीरा रोड और दहिसर रेलवे स्टेशनों के बीच रुक गई क्योंकि किसी ने इमरजेंसी स्टॉप के लिए चेन खींच दी.
जब ट्रेन रुकी और उसने बाहर देखा, तो आचार्य ने कथित तौर पर चेतन को अपनी राइफल के साथ फायरिंग पोजीशन में पटरियों पर चलते देखा.
आचार्य ने एफआईआर में आरोप लगाया, "मैं कोच में यात्रियों को अपनी खिड़कियां बंद करने और नीचे रहने के लिए चिल्लाया. मैंने देखा कि चेतन ट्रेन पर राइफल तान रहा था और समय-समय पर फायरिंग कर रहा था."
आचार्य ने कहा कि उन्हें डर था कि चेतन उन पर गोली चला सकता है. इसलिए वह टॉयलेट में छिप गए. वो तब तक बाहर नहीं आया जब तक उन्होंने चुपके से यह नहीं देखा कि चेतन मीरा रोड रेलवे स्टेशन की ओर चलना शुरू कर चुका था, राइफल अभी भी उसके हाथ में थी.
करीब 15 मिनट बाद जब ट्रेन चलने लगी तो आचार्य कोच 5/6 में दाखिल हुए और देखा कि एक यात्री खून से लथपथ पड़ा है.
उन्होंने कहा, "मैंने पेंट्री कार में एक अन्य यात्री को घायल और खून से लथपथ देखा."
सुबह 6.20 बजे, बोरीवली रेलवे पुलिस ने आरपीएफ के साथ मिलकर चार घायलों को निकाला - एक पेंट्री कार से, एक कोच 5/6 से, और दो कोच B5 (जिसमें एएसआई मीना शामिल थे) से. गोलीबारी में चारों घायलों की मौत हो गई थी.
पुलिस ने कहा कि आरोपी को 31 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम की तीन धाराओं और रेलवे पुलिस अधिनियम की तीन धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई. जवान
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