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ट्रेन गोलीकांड:मृतक सैफुद्दीन के परिजन बोले, 'RPF जवान ने नाम पूछा और गोली मारी'

Jaipur Mumbai Train Firing Case: मृतक सैयद सैफुद्दीन के चाचा ने इसे ''आतंकवादी हमला'' बताया है.

आकृति हांडा
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Jaipur Mumbai Train Firing Case: मृतक&nbsp;सैफुद्दीन</p></div>
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Jaipur Mumbai Train Firing Case: मृतक सैफुद्दीन

(फोटो- अरूप मिश्रा)

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"उनकी सबसे छोटी बेटी केवल छह महीने की है... हमारा परिवार उनके जाने का गम कैसे सहन करेगा?"

यह सवाल है सैयद सैफुद्दीन के छोटे भाई यूनुस का. सैफुद्दीन उन चार लोगों में से एक हैं, जिनकी 31 जुलाई को जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में कथित तौर पर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कांस्टेबल चेतन सिंह ने गोली मारकर हत्या (Jaipur Mumbai Train Firing Case) कर दी थी.

यह घटना महाराष्ट्र के ठाणे में मीरा रोड रेलवे स्टेशन के पास हुई. 33 वर्षीय RPF जवान चेतन ने कथित तौर पर अपने ऑटोमेटिक सर्विस राइफल से 12 राउंड गोलियां चलाईं. फायरिंग में सोमवार की सुबह मुंबई जाने वाली ट्रेन में उनके सहकर्मी ASI टीकाराम मीना और तीन यात्रियों की मौत हो गई. इन मृतक सिविलयन की पहचान अब्दुल कादिर, असगर काई और सैयद सैफुद्दीन के रूप में हुई है.

कथित तौर पर घटना के कुछ मिनट बाद शूट किया गया ट्रेन का 51 सेकंड लंबा एक कथित वीडियो भी ऑनलाइन सामने आया है, जिसमें आरोपी को यह कहते हुए देखा जा सकता है, "अगर वोट देना है, अगर हिंदुस्तान में रहना है तो केवल मोदी-योगी हैं."

गवर्मेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) के कमिश्नर रवींद्र शिस्वे ने 31 जुलाई को मीडिया को बताया कि कथित वीडियो की जांच की जा रही है.

इस बीच, सैफुद्दीन के चाचा मोहम्मद वाजिद पाशा ने इस घटना को "आतंकवादी हमला" करार दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके भतीजे से कथित तौर पर चेतन ने नाम पूछा और फिर गोली मारकर हत्या कर दी.

मृतक का परिवार हैदराबाद के नामपल्ली जिले में रहता है. यहां के विधायक जाफर हुसैन मेराज ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि सैफुद्दीन पर उसके धर्म के कारण हमला किया गया था.

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'अजमेर शरीफ से वापस आ रहा था सैफुद्दीन'

विधायक जाफर हुसैन मेराज ने कहा, “सैफुद्दीन अपने सेठ के साथ अजमेर शरीफ दरगाह गया था. जब यह घटना हुई तब दोनों जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस से मुंबई होते हुए हैदराबाद लौट रहे थे.”

छोटे भाई यूनिस ने द क्विंट को बताया कि उसका भाई छह लोगों के परिवार का एकमात्र कमाने वाला था. परिवार में भाई-बहन, मृतक की पत्नी और उनकी तीन बेटियां शामिल हैं.

परिवार नामपल्ली जिले के बाजार घाट इलाके में रहते है. 46 वर्षीय सैफुद्दीन हैदराबाद के गुजराती गली-कोटी में एक मोबाइल मरम्मत की दुकान पर काम करते थे.

1 अगस्त को द क्विंट ने बात करते समय यूनिस अपने बड़े भाई की बॉडी को लेने के लिए मुंबई जा रहे थे. इस समय उनके साथ उनके चाचा मोहम्मद वाजिद पाशा और विधायक मेराज भी थे.

'यह एक आतंकवादी हमला था': सैफुद्दीन के चाचा

मृतक के चाचा पाशा ने आंसुओं को रोकते हुए कहा, “यह वास्तव में एक आतंकवादी हमला है. उनके साथ ट्रेन में यात्रा कर रहे सेठ ने कहा है कि आरोपी ने सैफुद्दीन की गोली मारकर हत्या करने से पहले उनका नाम पूछा था.''

उन्होंने कहा कि उन्हें सैफुद्दीन के परिवार की चिंता है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी रेलवे (डब्ल्यूआर) ने सोमवार रात को कहा कि उसने गोलीबारी के पीड़ितों में से एक की पत्नी के सेविंग बैंक अकाउंट में डिजिटल रूप से 10 लाख रुपये ट्रांसफर किए हैं.

“10 लाख रुपये पर्याप्त नहीं हैं. यह स्वीकार्य नही है. वह अपने पीछे तीन छोटी-छोटी बेटियों को छोड़ गया है. वे मेरे भतीजे को वापस नहीं ला सकते लेकिन कम से कम वे उसके परिवार की भलाई तो सुनिश्चित कर ही सकते हैं.”
मोहम्मद वाजिद पाशा, मृतक के चाचा

मृतक के चाचा ने के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार से मुआवजा बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये करने, उनकी बेटियों की शिक्षा में मदद करने और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की है.

AIMIM विधायक मेराज ने कहा कि उनकी पार्टी इस "नफरत" के खिलाफ खड़ी है और यह सुनिश्चित करेगी कि पीड़ितों को न्याय दिया जाएगा.

मेराज ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमें नहीं पता कि देश में क्या हो रहा है. एक मुसलमान को उठाकर मार डाला गया. सैफुद्दीन का सेठ तो बच गया क्योंकि वह क्लीन-शेव. उन्होंने आरोप लगाया है कि RPF कांस्टेबल (चेतन सिंह) ने उन पर गोली चलाने से पहले सैफुद्दीन का नाम पूछा था.''

बता दें कि पुलिस ने कहा कि आरोपी को 31 जुलाई को गिरफ्तार किया गया और आईपीसी की धारा 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम की तीन धाराओं और रेलवे पुलिस अधिनियम की तीन धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई.

पाशा ने अपने भतीजे के लिए न्याय की मांग करते हुए कहा, “क्या ये इंसानियत है? सरकार कहती है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास. लेकिन कैसा विश्वास?'

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