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Jamia Millia Islamia Foundation: महात्मा गांधी का एक संबोधन और बन गयी जामिया

Jamia Millia Islamia Foundation day: जामिया के अलीगढ़ से दिल्ली आने तक की कहानी हम आपको बताते हैं.

FAIZAN AHMAD
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Jamia Millia Islamia मना रहा 102वां स्थापना दिवस- जानिए जामिया का पूरा इतिहास  </p></div>
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Jamia Millia Islamia मना रहा 102वां स्थापना दिवस- जानिए जामिया का पूरा इतिहास

(फोटो- PRO/जामिया मिलिया इस्लामिया)    

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जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) ने 29 अक्टूबर, 2022 को अपना 102वां स्थापना दिवस मनाया (Jamia 102 Foundation Day). भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री सुभाष सरकार मुख्य अतिथि रहे. जामिया मिलिया इस्लामिया में तीन दिनों तक स्थापना दिवस मनाया जाता है. 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक अलग अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है.

जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना 1920 में अलीगढ़ में हुई थी. जामिया मिलिया इस्लामिया का कैंपस हमेशा से दिल्ली में नहीं था. जामिया के अलीगढ़ से दिल्ली आने तक की कहानी हम आपको बताते हैं.

ऐसे हुई थी जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना 

जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना 29 अक्टूबर 1920 को मोहम्मद अली जौहर, हकीम अजमल खान, मुख्तार अहमद अंसारी, अब्दुल मजीद ख्वाजा और जाकिर हुसैन ने महमूद हसन देवबंदी की अध्यक्षता में अलीगढ़ में की थी. ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों का एक धड़ा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अलग एक नए नेशनलिस्ट कॉलेज की स्थापना करना चाहता था. दूसरे शब्दों में कहे तो जामिया की स्थापना राष्ट्रवाद के मुद्दे पर हुई थी.

यह वो दौर था जब भारत अंग्रजों के खिलाफ जंग लड़ रहा था उस समय अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के छात्रों का यह धड़ा एक ऐसे कॉलेज की स्थापना करना चाहता था जिसका संचालन ब्रिटिश हुकुमत की मदद के बिना किया जाए और उसमें ब्रिटिश सरकार का कोई रोल ना हो. ऐसा इसलिए क्योंकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ब्रिटिश हुकुमत की वित्तीय मदद के आधार पर चल रही थीं.

नतीजन 29 अक्टूबर 1920 को जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना पूर्ण नेशनलिस्ट कॉलेज के रूप में की गई. जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना में अगर महात्मा गांधी के योगदान का नाम ना लिया जाए तो यह कहानी अधूरी ही रह जाती है.

महात्मा गांधी ने 1920 में अंग्रेजो के खिलाफ 'नॉन कॉपरेशन मूवमेंट' छेड़ दिया था. उन्होंने सभी स्कूलों और कॉलेजों को अनुदान, सहायता, धन, पुरस्कार, सम्मान, उनकी शिक्षा प्रणाली में अंग्रेजों से किसी भी तरह की मदद लेने से रोकने का आह्वान किया था. इस उद्देश्य से उन्हें एमएओ कॉलेज (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) के कुछ छात्रों द्वारा आमंत्रित किया गया था. एमएओ कॉलेज (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) में गांधी जी के संबोधन के बाद ही जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना पर विचार किया गया.

महात्मा गांधी का जामिया के साथ बेहद करीबी ताल्लुक रहा वह जामिया को चलाने के लिए हर संभव मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे.

मुहम्मद अली जौहर ने 1920 से 1923 तक इसके पहले कुलपति (वीसी) के रूप में काम किया, और हकीम अजमल खान ने 1920 से 1927 तक पहले चांसलर के रूप में काम किया.

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अलीगढ़ से दिल्ली तक का सफर 

साल 1922 में असहयोग और खिलाफत आंदोलन के खत्म होने के बाद जामिया कम से कम संसाधनों की कमी की वजह से मुश्किलों से घिर गया. इसे पुनर्जीवित करने की कोशिशों में 1925 में, जामिया मिलिया इस्लामिया अलीगढ़ से करोल बाग, नई दिल्ली में ट्रांसफर हो गया.

1 मार्च 1935 को, ओखला में एक स्कूल भवन की आधारशिला रखी गई, जो उस समय दिल्ली के दक्षिणी बाहरी इलाके में गांव था.1936 में जामिया मिलिया इस्लामिया के सभी संस्थान जामिया प्रेस, मकतबा और पुस्तकालय को छोड़कर नए परिसर में चले गए.

जामिया के पीआरओ अहमद अजीम ने न्यूज एजेंसी इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "1935 में विश्वविद्यालय को महात्मा गांधी की मदद से यमुना नदी से लगे ओखला क्षेत्र में कुछ जमीन दी गई थी, इसके वर्तमान स्थान पर एक आधारशिला रखी गई थी."

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 1962 में जामिया मिलिया इस्लामिया को डीम्ड दर्जा दिया. जामिया मिलिया इस्लामिया 26 दिसंबर 1988 को भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया.

नागरिकता संशोधन कानून संसद में पास हो जाने के बाद काफी चर्चाओं में रहा. जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने इस बिल के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था जिसने कई बार हिंसक रूप ले लिया. यहां तक की 13 दिसंबर 2019 को दिल्ली पुलिस जामिया की लाइब्रेरी में घुस गई और फिर लाठीचार्ज और हिंसा की भयंकर तस्वीरें सामने आईं थी.

अगले ही साल 2020 में जामिया मिलिया इस्लामिया को भारत के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रैंकिंग में देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान दिया गया था. दिसंबर 2021 में, विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा 'ए++' रैंकिंग मिली.

आज का जामिया 

29 अक्टूबर 2022 को जामिया मिलिया इस्लामिया अपना 102वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस मौके पर कैंपस को खूबसूरत ढंग से सजाया गया है. स्वतंत्रता संग्राम और असहयोग आंदोलन से जन्मी जामिया मिलिया इस्लामिया ने आज अपनी स्थापना के 102 साल पूरे कर लिए. विश्वविद्यालय के एनसीसी कैडेटों ने समारोह के मुख्य अतिथि डॉ सुभाष सरकार, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री को एक शानदार गार्ड ऑफ ऑनर प्रस्तुत किया.

जामिया मिलिया इस्लामिया की वाइस चांसलर प्रोफेसर नजमा अख्तर के साथ मुख्य अतिथि डॉ सुभाष सरकार.

(फोटो- PRO/जामिया)  

जामिया मिलिया इस्लामिया के स्थापना दिवस के मौके पर डॉ. सुभाष सरकार ने अपने संबोधन में कहा कि, 'शिक्षण बिरादरी, छात्र, पूर्व छात्रों और सभी हितधारकों “अपनी स्थापना के बाद से जामिया मिलिया इस्लामिया ने बेशुमार मील के पत्थर हासिल किए हैं, जो देश के लिए यादगार और महत्वपूर्ण रहेंगे. मैं आप सभी को बधाई देता हूं, यह बहुत गर्व की बात है कि संस्थान ने एक और मील का पत्थर पार किया है.”

जामिया के कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला.

29 अक्टूबर 2022 को जामिया मिलिया इस्लामिया अपना 102वां स्थापना दिवस मना रहा है.

(फोटो- PRO/जामिया)

जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रोफेसर फिरदौस अजमत ने क्विंट से कहा कि, 'उन्हें जामिया के 102वें स्थापना दिवस पर बेहद खुशी है. जामिया ने एंटी-सीएएए प्रोटेस्ट्स के दौरान अपना सबसे खराब दौर देखा जब इसे बदनाम करने की कोशिशें की गईं लेकिन अगले ही साल जामिया ने टॉप रैंकिंग में शामिल होकर यह साबित कर दिया कि हम शिक्षा और ऐकडेमिक मामले पर बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे है."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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