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लोकसभा से बुधवार, 6 दिसंबर को जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 (Jammu and Kashmir Reservation Bill 2023) पारित हो गया. सदन में बिल पेश करते समय अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि ये बिल उन लोगों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान करता है, जिन्हें आतंकवाद के कारण कश्मीर छोड़ना पड़ा. वहीं, पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू पर अमित शाह की टिप्पणी से नाराज विपक्ष ने बिल पास होने के बाद सदन से वॉकआउट किया. चलिए जानते हैं कि इस बिल में क्या खास है और शाह ने पूर्व पीएम नेहरू पर क्या टिप्पणी की?
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा "जो विधेयक मैं यहां लाया हूं, वह उन लोगों को न्याय दिलाने और उनके अधिकार प्रदान करने से संबंधित है, जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान किया गया और जिनकी उपेक्षा की गई."
दोनों बिल में क्या है?
जम्मू-कश्मीर आरक्षण-संशोधन विधेयक-2023 के अंर्तगत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को पेशेवर संस्थानों में नौकरियों और प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान है.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन-संशोधन विधेयक-2023: जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन विधेयक-2019 में संशोधन के बारे में है. इस बिल से जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 83 स्पष्ट करने के लिए 1950 के अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया जाएगा. प्रस्तावित विधेयक में सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 करने का प्रावधान किया गया है. इसमें अनुसूचित जातियों के लिए 7 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटों का प्रस्ताव किया गया है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए आरक्षित होगी
जम्मू और कश्मीर पर 2 विधेयकों में से एक महिला सहित दो कश्मीरी प्रवासी समुदाय के सदस्यों को विधानसभा में नामांकित करने का प्रावधान है
बहस के दौरान शाह ने कहा...
केंद्रीय गृहमंत्री ने बहस के दौरान लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू में आतंकवाद के कारण लगभग 45,000 लोगों की जान चली गई है. अगर वोट बैंक की राजनीति पर विचार किए बिना आतंकवाद से शुरुआत में ही निपटा गया होता तो कश्मीरी पंडितों को घाटी नहीं छोड़नी पड़ती.
शाह ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि पूर्व पार्टी ने 'OBC' को सबसे बड़ा नुकसान' पहुंचाया है. वहीं, उन्होंने कहा "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रहे हैं. मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में तीन साल तक 'जीरो टेरर इंसीडेंट' लागू करने की योजना बनाई है. यह 2026 तक सफल होगी."
इधर, पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू पर किए गए अमित शाह की टिप्पणी पर विपक्षी नेताओं ने नाराजगी जताई. नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने कहा.."...उस समय, पुंछ और राजौरी को बचाने के लिए सेना को हटाया गया था. अगर ऐसा नहीं किया गया होता, तो पुंछ और राजौरी भी पाकिस्तान में चला जाता. उस समय और कोई रास्ता नहीं था, लॉर्ड माउंटबेटन और सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी सुझाव दिया था कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका में जाना चाहिए."
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बीजेपी पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा...
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अमित शाह के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा "यह बिल्कुल गलत है. युद्धविराम इसलिए हुआ क्योंकि भारतीय सेना के तत्कालीन कमांडिंग-इन-चीफ ने सलाह दी थी कि गतिरोध पैदा हो गया है."
गृह मंत्री के बयान पर कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, ‘‘हमारे देश के वो महान नेता चाहें वो सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेहरू जी या बाबा साहब भीमराव अंबेडकर हों, इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. नेहरू जी और सरदार पटेल पर जो टिप्पणी की गई है, ये उनका अपमान है. देश के लिए इस तरह की राजनीति ठीक नहीं है.’
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी कहते हैं..."जवाहरलाल नेहरू को गाली देना और गलत तथ्य पेश करना बीजेपी की आदत बन गई है...आप आज कुछ भी कह सकते हैं क्योंकि जवाहरलाल नेहरू जवाब देने के लिए यहां नहीं हैं. अगर जवाहरलाल नेहरू ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहीं किया होता तो श्रीनगर हमारे साथ नहीं होता"
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