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जम्मू-कश्मीर में 28 हजार और जवानों की तैनाती की खबरों पर अब गृहमंत्रालय की तरफ से जवाब आया है. न्यूज एजेंसी एनआई ने गृहमंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि इस तरह की चर्चाएं अटकलों पर आधारित हैं. हालांकि न्यूज एजेंसी पीटीआई ने 28 हजार जवानों को घाटी में भेजे जाने की खबर दी थी. जिसमें कहा गया था कि अगले कुछ ही दिनों में जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षाबलों की इन 280 कंपनियों की तैनाती हो जाएगी. इससे पहले मोदी सरकार ने घाटी में 10 हजार जवान भेजने का फैसला लिया था.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक गृहमंत्रालय की तरफ से इस बात पर सफाई आई है. एएनआई ने जवानों से मूवमेंट पर सूत्रों के हवाले से बताया, यह सुरक्षाबलों की नियमित प्रक्रिया है. जवानों को ट्रेनिंग की जरूरत होती है. ऐसी जगहों पर काम करने के लिए उन्हें यहां भेजा जाता है. वहीं कुछ जवानों को वहां से बुलाया भी जाता है. ये रोटेशन की प्रक्रिया चलती रहती है. बताया गया कि सार्वजनिक तौर पर कभी भी सुरक्षाबलों की तैनाती और मूवमेंट का खुलासा नहीं किया जाता है.
जम्मू-कश्मीर में आने वाले कुछ ही महीनों में कभी भी चुनाव कराए जा सकते हैं. यह भी अतरिक्त सुरक्षा बलों को घाटी में भेजने का एक बड़ा कारण हो सकता है. विधानसभा चुनाव के दौरान कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और किसी भी बड़ी आतंकी घटना को रोकने के लिए यह कवायद हो सकती है. सत्ता पक्ष के नेताओं की भी यही दलील है. फिलहाल हजारों जवान अमरनाथ यात्रा में भी लगे हैं. जिनकी जगह इन नई कंपनियों को तैनात किया जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर में जवानों की संख्या में इजाफा होने पर अब विपक्षी नेताओं के अलावा पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी चिंता सताने लगी है. पाकिस्तान को जवानों की तैनाती पर शक हो रहा है. पाकिस्तानी मीडिया में पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय में जम्मू-कश्मीर मामलों की संसदीय समिति की पांचवीं बैठक के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय कार्रवाई पर सवाल उठाया. उन्होंने इस मौके पर कहा-
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुला ने कश्मीर में 28 हजार जवानों को भेजे जाने की खबर पर मोदी सरकार से सवाल किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, कश्मीर में ऐसी क्या हालत है जो आर्मी और एयरफोर्स को अलर्ट पर रखा गया है? यह 35ए को खत्म करने के लिए नहीं है. अगर ऐसा वाकई में हुआ है तो कुछ अलग होने वाला है.
इससे पहले जब भारत सरकार ने 10 हजार जवानों को कश्मीर भेजने का फैसला किया था, तब रेलवे के एक अधिकारी ने अपने कर्मचारियों के नाम एक चिट्ठी लिखी. जिस पर खूब बवाल भी हुआ. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा कि घाटी में हालात बिगड़ने वाले हैं. इसीलिए सभी अपने लिए अगले 4 महीने का राशन इकट्ठा कर लें. इसके साथ ही उन्होंने अपने कर्मचारियों को कश्मीर से बाहर निकलने की भी सलाह दे डाली थी. हालांकि इसके बाद रेलवे ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि ये उनकी व्यक्तिगत राय है. वो ऐसा कोई भी लेटर जारी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं.
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