Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019J&K ग्राउंड रिपोर्ट|पैलेट गन से जख्मी लोग सामने आने से भी हिचक रहे

J&K ग्राउंड रिपोर्ट|पैलेट गन से जख्मी लोग सामने आने से भी हिचक रहे

जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाया गया था

पूनम अग्रवाल
भारत
Updated:
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाया गया था
i
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाया गया था
(फोटो: शादाब मोइजी/क्विंट)

advertisement

जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले को एक हफ्ता हो गया है. एक हफ्ते बाद, श्रीनगर और इसके आसपास के इलाकों के अस्पतालों में गोलियों से जख्मी कई लोगों को भर्ती कराया गया है. ये जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब अधिकारियों ने कहा है कि घाटी में स्थिति शांतिपूर्ण है और नियंत्रण में है.

क्विंट ने रविवार, 11 अगस्त को जिन दो अस्पतालों का दौरा किया, उनमें से एक में पैलेट गन के 10-15 मामले और बुलेट से जख्मी हुए 2 केस पाए गए.

क्विंट से बात करते हुए, इब्राहिम खान ने बताया कि कैसे वो इस हादसे का शिकार हुए. इब्राहिम दिल्ली में काम करते हैं, और हाल ही में श्रीनगर के सौरा में अपने घर आए हुए थे. इब्राहिम ने बताया कि सुरक्षाबलों कि तरफ से चलाई गई गोलियों में वो और एक साढ़े तीन साल का बच्चा घायल हो गया.

पैलेट गन से इब्राहिम को आई चोट(फोटो: क्विंट हिंदी/पूनम अग्रवाल)

इब्राहिम को हाथ और पैर पर चोट आई है. उन्हें श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

पैलेट गन से घायलों की संख्या 10-15

श्रीनगर के बेमिना में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में, पैलेट गन से घायलों के करीब 10-15 मामले हैं. इनमें 4 को आंखों में चोट आई है.

इस कारण एक शख्स को अपनी एक आंख खोनी पड़ी है, वहीं दूसरा गंभीर रूप से घायल है. बेमिना अस्पताल में दो बुलेट गन से जख्मी होने के भी मामले हैं, जिसमें से एक को हाथ पर चोट आई है और एक को कंधे पर.
शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का रजिस्टर(फोटो: क्विंट हिंदी/पूनम अग्रवाल)
क्विंट से बात करते हुए एक नर्स ने बताया कि पैलेट गन से घायलों की संख्या इससे भी ज्यादा है, लेकिन वो खुद को रजिस्टर नहीं करा रहे हैं. उन्हें डर है कि आधिकारिक रिकॉर्ड के जरिए सुरक्षाबल उन्हें ट्रैक न कर लें.

स्थानीय लोग जो कश्मीर की कहानी बयां कर रहे हैं, वो अधिकारियों के बयान से एकदम अलग है. रविवार, 11 अगस्त को जम्मू और कश्मीर पुलिस ने प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के हवाले से प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि पिछले 6 दिनों में एक भी बुलेट नहीं चलाई गई है और घाटी में हालात शांतिपूर्ण हैं.

कश्मीर के आईजीपी ने भी वीडियो जारी कर ऐसी ही बात कही.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

'सड़कों पर उतरेंगे लोग'

प्रशासन के बार-बार ये कहने पर कि जम्मू-कश्मीर में हालात नॉर्मल हैं, स्थानीय लोगों का कुछ और ही कहना है.

अस्पताल में भर्ती घायलों ने क्विंट से बात करने से मना कर दिया, क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें पहचान न लिया जाए.

एक अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि कर्फ्यू के बाद कश्मीर के लोग सड़कों पर जरूर उतरेंगे.

पिछले सात दिनों से अस्पताल में रहने वाले इन डॉक्टर ने बताया कि कर्फ्यू के कारण डॉक्टरों को भी अस्पताल पहुंचने में मुश्किल हो रही है.

इसी अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स ने भी कुछ ऐसा ही कहा. उन्होंने कहा कि वो घर से सिर्फ एक किलोमीटर दूर रहती हैं, लेकिन फिर भी 5 अगस्त को उन्हें अस्पातल पहुंचने में काफी समय लग गया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 11 Aug 2019,10:35 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT