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30 जुलाई 2020 को श्रीनगर में एक बेहद नाटकीय घटनाक्रम सामने आया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज नजरबंदी के दौरान श्रीनगर स्थित हुम्हामा में अपने आवास के बाहर कुछ पत्रकारों से बात करने की कोशिश कर रहे थे.
अपने आवास की बाहरी दीवारों के पीछे से पत्रकारों से बात करते हुए सोज ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर प्रशासन के खिलाफ कोर्ट जाएंगे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उनकी नजरबंदी को लेकर झूठ कहा है.
इसके बाद साधारण कपड़ों में खड़ा एक सिक्योरिटी ऑफिसर उन्हें खींचकर पत्रकारों से दूर ले गया और वर्दी पहने जवान से पत्रकारों को वहां से हटाने के लिए कहा.
“इन्हें यहां से भगाओ,” एक अज्ञात ऑफिसर चिल्लाया, जो सोज को दीवार से नीचे खींच रहा था.
सोज ने अपने पहले के बयान में कहा "5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर (पूर्व राज्य) के विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने के बाद से 'उन्हें अवैध रूप से नजरबंद' रखा गया है, जिसके खिलाफ वो सरकार पर केस करेंगे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के इस जवाब को 'झूठ' बताया कि वह नजरबंद नहीं हैं.’’
बुधवार 29 जुलाई 2020 को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सोज न तो हिरासत में हैं और न ही घर में कैद हैं. कोर्ट उनकी पत्नी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसके बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश हलफनामे के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सोज को रिहा करने की याचिका पर सुनवाई बंद कर दी.
5 अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया गया या फिर घर में नजरबंद कर दिया. हालांकि कई प्रमुख नेताओं को रिहा किया जा चुका है. बावजूद इसके अभी भी कई नेता घर में कैद हैं.
क्विंट ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सोज का एक्सक्लूजिव इंटरव्यू किया और उनसे नजरबंदी, हालिया घटनाक्रम और कश्मीर में धारा 370 हटने के एक साल होने को लेकर बातचीत की.
रिपोर्टर:सरकार कह रही है कि आप “आजाद’ हैं. लेकिन आपने बताया कि आपको बाहर निकलने की इजाजत नहीं है. तो कौन झूठ बोल रहा है और क्यों?
सोज: आप वह वीडियो देखें, जिसे गुरुवार को कुछ पत्रकारों ने मेरे आवास पर रिकॉर्ड किया था. मैं हिरासत के बारे में कुछ बताने की कोशिश कर रहा था. ये सबूत है कि मैं आजाद नहीं हूं, अभी भी नजरबंद हूं. फिर आपने देखा, वहां पुलिसवाले तैनात थे और कैसे वह मुझे घसीटकर पत्रकारों से दूर ले गए और वर्दी पहने जवानों से पत्रकारों को भगाने के लिए कहा गया.
तो ये सरकार है, जो झूठ बोल रही है और माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने भी झूठ बोल रही है. अगर मैं “आजाद’ हूं, जैसा उन्होंने दावा किया है तो मुझे कहीं भी जाने की इजाजत दें.
सच तो यह है कि 5 अगस्त 2019 से ही लगातार हिरासत में हूं.
रिपोर्टर: लेकिन सरकार ने शुक्रवार को कहा “हमने प्रोफेसर सोज को आजाद कर दिया है’ - दावा किया गया कि आपको आपकी बहन के घर जाने की इजाजत थी?
सोज: हां, आज मुझे अपनी बीमार बहन को देखने के लिए श्रीनगर के हैदरपोरा में जाने की इजाजत मिली. लेकिन मेरे साथ दो पर्सनल सिक्युरिटी ऑफिसर (पीएसओ) भी थे. मैं तो देखकर हैरान हूं कि पुलिस ने मुझे आजाद दिखाने के लिए एक वीडियो बनाया और जारी कर दिया. पुलिस साफतौर से सफेद झूठ बोल रही है.
जब मैं वापस आया और अपने पड़ोसियों को देखना चाहा तो मुझे इसकी भी इजाजत नहीं दी गई.
अब तक न तो मुझे सूचित नहीं किया गया है और न ही कोई सरकारी आदेश दिया है, जो यह साबित करे कि मैं आजाद हूं.
रिपोर्टर: आपके आवास पर गुरुवार को क्या हुआ और आपको कैसा लगा?
सोज: देखिए, मैं सिर्फ अपनी हिरासत के बारे में कुछ पत्रकारों से बात कर रहा था, लेकिन जिस तरह से पुलिसवाला मुझे घसीटकर ले गया और मुझे बोलने की इजाजत नहीं दी, वह अलोकतांत्रिक है.
मैंने बोला था कि मुझे घर में नजरबंद किया गया है, और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मैं आजाद हूं. लेकिन आदेश कहां हैं? यहां सब कुछ मौखिक रूप से किया जा रहा है. खासकर, 5 अगस्त के बाद से.हकीकत ये है कि मैं अभी भी घर में कैद हूं और पुलिस मुझे बाहर निकलने की इजाजत नहीं दे रही है.
ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के प्रवक्ता ने शाम को दावा किया कि “सोज आजाद हैं और कहीं भी जा सकते हैं”-- लेकिन ये सच्चाई नहीं है.
रिपोर्टर: लेकिन कई नेता रिहा हो चुके हैं. यहां तक सज्जाद लोन को भी आजाद कर दिया था. फिर आपको क्यों नहीं? क्या वो आपको खतरा मानते हैं?
सोज: देखें, उनके (केंद्र सरकार) पास कोई नीति नहीं है और न ही उनका सिविल सोसायटी के साथ कोई संबंध है. वे लोग भारत के संघ के साथ जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक संबंध को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वह खुद नहीं जानते कि वह क्या कर रहे हैं. लेकिन जैसा भी उन्हें ठीक लगता है, वैसा काम करते हैं.
रिपोर्टर: अब आप आगे क्या करेंगे?
सोज: मैं अपने वकील के संपर्क में हूं और मैं इस बात को साबित करने के लिए कोर्ट जाऊंगा कि मैं 5 अगस्त 2019 से ही घर में नजरबंद हूं. मेरे पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं. इसके अलावा मैं सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताऊंगा कि कैसे सरकार ने कश्मीरियों की आजादी को दरकिनार कर दिया है.
रिपोर्टर: लेकिन आप मुख्यधारा के नेता के तौर पर कई सालों से कश्मीर में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. आपको दुख होता है?
सोज: बिल्कुल होता है; आपने देखा कि सभी प्रमुख नेता 5 अगस्त 2019 के बाद हिरासत में ले लिए गए. नई दिल्ली में सरकार ने संविधान को कमजोर कर दिया, लेकिन यह इतिहास में लिखा जाएगा और लोग भी जानेंगे कि कैसे सरकार ने संविधान को नुकसान पहुंचाया, जब वह सत्ता में आई.
रिपोर्टर: जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के बाद कई प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया गया, क्या सरकार ने आप सभी को अप्रासंगिक बना दिया है?
सोज: वे कैसे कर सकते है? वे अंधेरे में तीर मार रहे हैं. केंद्र सरकार की कश्मीर को लेकर कोई नीति नहीं है. अगर सारे प्रमुख कश्मीरी नेताओं को जेल में डाल देंगे तो कश्मीर से वे कैसे निपटेंगे? उन्होंने कश्मीर में एक तमाशा (ड्रामा) किया है.
हम ही नहीं, जम्मू में बीजेपी नेतृत्व भी राज्य के केंद्र शासित प्रदेश बनने से बेहद आहत है. वे भी राज्य में विशेष दर्जा की बहाली चाहते हैं. हमारी आंतरिक स्वायत्तता निरस्त कर दी गई.
जम्मू-कश्मीर की अवाम भी इस फैसले से नाराज है; कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया से पहले ही लोग तंग आ चुके थे और अब उन्हें दोबारा साथ लाना मुश्किल होगा. इस तरह की स्थिति भारत के लिए खतरनाक है.
रिपोर्टर: धारा 370 हटाए जाने को एक साल बीत चुका है. अब आप कश्मीर की स्थिति को कहां देखते हैं?
सोज: आप देखते हैं कि हमारे सामने एक छोटी दौड़ है, फिर एक लंबी दौड़ है. इस छोटी दौड़ में आरएसएस/बीजेपी ने भारत के संघ के साथ हमारे संवैधानिक संबंधों को बहुत नुकसान पहुंचाया है और चुनावी प्रक्रिया को एक बड़ा झटका लगा है. अगर चुनाव होते भी हैं तो भी लोग इस प्रक्रिया को दरकिनार कर देंगे. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया है.
फिर हम इसे लंबे समय के लिए देखेंगे कि कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के एजेंडे में हैं. कश्मीर में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें वैश्विक नतीजे भी हैं.
रिपोर्टर: बीजेपी ने कहा कि अनुच्छेद 370 इलाके के विकास में बाधक था. आपका क्या कहना है?
सोज: उन्होंने (बीजेपी) विकास को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के हटाने से जोड़ लिया- यह उनकी मूर्खता थी. अनुच्छेद 370 हमारे संवैधानिक संबंधों की आधारशिला थी और उन्होंने इसे कमजोर किया.
रिपोर्टर: अब आपकी पार्टी के बारे में बात करते हैं. कांग्रेस ने भी जम्मू-कश्मीर में अपनी जमीन खो दी है. अपनी वापसी को लेकर आप क्या कहना चाहते हैं?
सोज: नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, बीजेपी की तुलना में कांग्रेस पार्टी का कश्मीर में उतना बड़ा कद नहीं है. लेकिन कांग्रेस कमजोर नहीं हुई है. चुनावों के साथ कांग्रेस को उसका उचित जनाधार मिलेगा, और मुझे नहीं लगता कि उसे कश्मीर में झटका लगा है.
रिपोर्टर: जम्मू-कश्मीर के पास अब कोई विशेष दर्जा नहीं होने के बाद क्या आप निकट भविष्य में चुनाव लड़ेंगे?
सोज: देखें, अभी तक हमने कोई भी फैसला नहीं लिया. लेकिन कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध कर रही हैं. तो जब भी चुनाव होंगे, हम देखेंगे और फैसला लेंगे.
रिपोर्टर: लोगों के लिए क्या रास्ता है? लोगों के लिए आपकी क्या राय है, खासकर युवाओं के लिए?
सोज: इसमें कोई शक नहीं कि यहां लोग भारत सरकार से काफी नाराज हैं. उन्हें अब किसी की राय की जरूरत नहीं है. लोग गुस्से में है और इसका नतीजा आपको चुनावों में देखने को मिलेगा.
(आकिब जावेद श्रीनगर स्थित पत्रकार हैं, उनसे @AuqibJavee संपर्क कर सकते हैं). यह एक ओपनियन लेख है. ये लेखक के निजी विचार हैं. क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है.)
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