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कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी के मामले में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हलफनामे में कहा गया है कि सैफुद्दीन न तो हिरासत में हैं और न ही उन्हें हाउस अरेस्ट किया गया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस हलफनामे के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई बंद कर दी है. कोर्ट का कहना है कि जब जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ऐसा बताया है कि सोज हिरासत में नहीं है तो इस मामले में कोर्ट नहीं जाएगा.
सैफुद्दीन सोज की पत्नी मुमताजुन्निसा सोज ने नजरबंदी के खिलाफ याचिका दायर की थी.
एनडीटीवी के मुताबिक, कोर्ट में सुनवाई तो बंद हो गई है लेकिन इसके महज कुछ ही घंटों के बाद पुलिसकर्मियों ने सैफुद्दीन सोज को उनके श्रीनगर स्थिति घर से बाहर नहीं निकलने की इजाजत नहीं दी, मीडिया से बातचीत करने की इजाजत नहीं दी. रिपोर्ट के मुताबिक, बंद दरवाजे और बैरिकेड के पीछे से ही सोज कहते नजर आए कि आखिर सरकार सुप्रीम कोर्ट में सरकार ऐसा कैसे कह सकती है कि मैं हिरासत में नहीं हूं.
उधर, जम्मू-कश्मीर गृह विभाग के विशेष सचिव ने अपने एफिडेविट में लिखा है-
'प्रोफेसर सैफुद्दीन सोज के किसी भी जगह आने जाने पर कोई पाबंदी नहीं है, जिन इलाकों में लॉ एंड ऑर्डर को देखते हुए क्लियरेंस नहीं है उन्हें छोड़कर. प्रोफेसर सोज को कभी नजरबंदी में नहीं रखा गया है, जैसा कि आरोप है.'
बता दें कि पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का फैसला लिया था. इस दौरान तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को एहतियात के तौर पर नजरबंद कर दिया गया था. फारूक और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को अब रिहा कर दिया गया है, जबकि कुछ नेता अभी भी नजरबंद हैं.
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